नो इट्स एक्चुअली अ डिस्ट्रिक्ट. नाम काफी स्प्रिचुअल है. सीतापुर.
यही कुछ 212km की डिस्टेंस पे हूँ खटीमा से, और आप डेल्ही हाईट्स से ज्यादा नहीं यही बस कुछ 412km की दूरी पर हूँ.
:D डोंट यू थिंक ऑफ़ इट. नहीं आ आऊंगा मैं मिलने वहां से.! एनीवे आई ऍम प्रीटी श्योर, की मैं वो "सीता" को नहीं दूंढ़ नहीं पाउँगा.
एज द नेम सेज इट आल - "सीतापुर" . पता किया है मैंने गूगल पे, यहीं पास में (30-40 km)एक आश्रम है, नेम्ड प्लेस आफ्टर
समथिंग नैमिषयारन्य. हैव यू एवर हर्ड ऑफ़ महर्षि दधिची?? (याद करो जरा शायद 6th या 7th स्टैण्डर्ड में था ये बंदा..)
हाँ, वो यही पे रहता था बंदा. एंड द गवर्मेंट डेवलप्ड इट एज ए टूरिस्ट स्पॉट. मूड तो है, लेकिन अभी कोई ऐसा मिला नहीं है,
जिसके साथ हैंगआउट कर सकूं. मिस्सिंग यू अंकित.!!
करने क्या गया हूँ वहां?? राईट..!! ग्रेजुएशन के बाद पढने से मन उचटने लगा था (पता नहीं क्यूँ..?),
दो आई वाज गुड एट माय स्टडीज, एंड यू प्रोबेब्ली क्नो इट. (ये बात बस मेरे स्कूलमेट्स के लिए था..) :p
डोंट क्नो व्हाट वेंट रोंग.? डोंट हैव एनीवन टू ब्लेम. कॉज इट्स वाज ओनली मी, हु रुइन्ड इट आल.
सो , एज आई वाज प्रीप्रेयिंग फॉर गवर्मेंट एग्जाम्स. सो, घर वालों ने यहाँ भेज दिया. एज देयर इज आल्सो ए ब्रांच ऑफ़ महेन्द्राज.
सो मैं वहां फिर से शिफ्ट हो गया. फिर दोबारा घर से बाहर, दूर कहीं..!!
स्टार्टिंग में तो बहुत गोली दी घर वालों को. आज-नहीं कल! कल-नहीं परसों. यकीं मानिए इसी में 6 महीने बीत गए.
पहले गर्मी के जाने का इंतज़ार कर रहा था, फिर ठंडियों के. तो कभी पा के इस बात के भूलने का इंतज़ार करता.
सो वो दिन फाइनली आ गया. मैंने सामान पैक किया एंड हेडेड टुवर्ड्स माय न्यू टूरिस्ट डेस्टिनेशन स्पॉट. :D
हैं तो सारे बैचलर्स मेरे बिल्डिंग में वहां, बट इट्स सीतापुर!! काफी लाउड है, सब-के-सब. एक बैंक मेनेजर भी कोई है, मेरे जस्ट बगल वाले
के रूम में. मुझे कुछ शक हुआ उसके लाइफस्टाइल पे, सो मैंने पुछा किसी से, यार "ये जनरल का तो नहीं लग रहा हैं..??"
सामने से जवाब आया- " OBC हैं ई." एनीवे जाने से पहले मैंने एक रेजोल्यूशन बनाया, देट आई ऍम गोंना क्विट फेसबुक!!
नॉट फॉर गुड, फॉर समटाइम्स. सो आई डीड. जस्ट फॉर एक्सपेरिमेंट. कुछ क्रिएटिव करने को नहीं बचा फिर पढने के अलावा. :D
सो समवन सज्जेस्टेड मी टू, "फक #twitter". एज आई हैव आलरेडी साइंड अप देयर फ्यू मंथ्स एगो, सो व्हाट आई आल नीड टू डू वाज
कमप्लिटिंग माय प्रोफाइल. सो आई डीड. यू कैन अल्सो कैच मी अप देयर @themanjesh
तीन चार दिन बाद यूज़ करने के बाद पता चला की इसके डेवल्पर को क्या आईडिया आया होगा.
इट्स रियली कूल देट यू कैन गेट इन टच विथ लाइक वन डोर डिस्टेंस. मुझे कभी कभी एहसास होता था जैसे, Kate Upton लिव्स
नेक्स्ट डोर! :D ओफ़्फ़्कौर्से नॉट!! जोक्स अपार्ट!! बस ऐसा ही कुछ सोचा होगा उस twitter के मार्क ज़ुकेरबर्ग ने!!
हाँ पता है, मुझे उसके सीईओ का नाम नहीं मालूम अब तक!! ;) कुछ नया तो सोचा बन्दे ने!! एनीवे सोचने से याद आया, अभी
वहीं पे मुझे एक नयी वेबसाइट का आईडिया आया, मैं बड़ा खुश था, लेकिन जब अपने भैया को बताया इस बारे में, ही सेड
" ड्यूड देट्स ईल लीगल ". सो आई हेड टू ड्राप देट आईडिया.. बस ख़ुशी थी इस बात की, "मैंने कुछ तो अलग सोचा.."
वो कहते हैं न - "आवयश्कता ही अविष्कार की जननी है", तो बस कुछ ऐसा ही था.
नो, आई ऍम नॉट गोना टेल यू देट आईडिया, अन्लेस यू बाय मी ए iphone 6s:p :D (देट्स वर्थ माय आईडिया मैन..!!) :D
दूसरे रेजोल्यूशन के बारे में भी कुछ करना बांकी था, येह! देट वाज अबाउट माय हेल्थ/फिजिक.
सो आई सेट माय अलार्म, लेकिन नहीं उठ पाया तीन दिनों तक. खुद को बहाने बना कर फुसला लेता था.
"मंजेश, अभी सो जा यार! कल से जायेंगे!! पक्का..!!"
"मंजेश, लाइट नहीं है अभी, कहाँ अँधेरे में हाथ-पैर मारेगा..? कल से जायेंगे!! पक्का..!!"
" ओह नो!! बारिश हो रही है..!! कल से जायेंगे!! पक्का..!!"
हर दिन मैं रिग्रेट करता, "यार काश तू आज उठ जाता.."
लेकिन चौथे दिन पता नहीं क्या हुआ, अलार्म बजते ही मैं मैं उठ के बैठा गया. शूज पहने, कानों में ईयरफ़ोन लगाया और शुरू कर दिया दौड़ना.
नहीं, सडकें अच्छी है खटीमा से. शायद वहां का विधायक कोई उत्सव/प्रोग्राम करने के अलावा कुछ काम भी कराता होगा.
वहां के लोगों को पान खाने की ज्यादा आदत है, तो उसका प्रभाव आपको सड़कों पे लम्बे लम्बे निशान से पता चल जाएगा.
येह! वेलकम टू इंडिया बेबी!! तो, धीरे-धीरे ज्यादा और ज्यादा दौड़ता गया. और हाँ! इसी बीच मैंने अपना वो स्कलकैंडी का ईयरफ़ोन ख़राब कर दिया.
आई स्टिल रेमेम्बेर देट फकिंग ट्यूसडे. पूरा दिन उदास रहा था मैं. सांस में सांस आई जब पता चला देट इट्स स्टिल अंडर वारंटी.
इससे एक चीज़ अच्छी तो हुई है, देट इज मेरी चलने की आदत फिर से बनने लगी है. क्यूंकि दिल्ली में तो बस कदमों के सफ़र के लिए DTC हुआ
करती थी. एंड येह! , वन मोर गुड थिंग, आई स्टार्टेड राइटिंग माय डायरी अगेन. कुछ पहले जैसा भी होने लगा. छूट गया था ये सब,
जब से मैं लैपटॉप आया और मैं उसका आदी हो गया.
जहाँ तक लड़कियों की बात है, अभी तक वैसी कोई दिखी नहीं, जिसको देख के धड़कन बढ़ जाए..
दिल्ली की तो बात ही कुछ और थी.. आई मीन, येस! इट्स ऑन ऑफ़ द रीज़न देट समटाइम्स आई मिस लिविंग इन डेल्ही.
अगर कोई मिली ऐसी तो नयी लप्रेक पोस्ट करूँगा. इससे याद आया कि आई गोट अ आईडिया ऑफ़ माय फर्स्ट नावेल.
मैंने तो नाम भी सोच लिया है, उसका. अभी कुछ वक़्त लगेगा उसको पब्लिश करने में..
एंड यू क्नो व्हाट, वहां Woodland, Red Chief, Peter England और Liberty के ऑफिसियल
शोरूम भी है. यू क्नो व्हाट आई मीन!! ;)
बांकी जो है सो तो हईये है..!!
:- #MJ_की_कीपैड_से
यही कुछ 212km की डिस्टेंस पे हूँ खटीमा से, और आप डेल्ही हाईट्स से ज्यादा नहीं यही बस कुछ 412km की दूरी पर हूँ.
:D डोंट यू थिंक ऑफ़ इट. नहीं आ आऊंगा मैं मिलने वहां से.! एनीवे आई ऍम प्रीटी श्योर, की मैं वो "सीता" को नहीं दूंढ़ नहीं पाउँगा.
एज द नेम सेज इट आल - "सीतापुर" . पता किया है मैंने गूगल पे, यहीं पास में (30-40 km)एक आश्रम है, नेम्ड प्लेस आफ्टर
समथिंग नैमिषयारन्य. हैव यू एवर हर्ड ऑफ़ महर्षि दधिची?? (याद करो जरा शायद 6th या 7th स्टैण्डर्ड में था ये बंदा..)
हाँ, वो यही पे रहता था बंदा. एंड द गवर्मेंट डेवलप्ड इट एज ए टूरिस्ट स्पॉट. मूड तो है, लेकिन अभी कोई ऐसा मिला नहीं है,
जिसके साथ हैंगआउट कर सकूं. मिस्सिंग यू अंकित.!!
करने क्या गया हूँ वहां?? राईट..!! ग्रेजुएशन के बाद पढने से मन उचटने लगा था (पता नहीं क्यूँ..?),
दो आई वाज गुड एट माय स्टडीज, एंड यू प्रोबेब्ली क्नो इट. (ये बात बस मेरे स्कूलमेट्स के लिए था..) :p
डोंट क्नो व्हाट वेंट रोंग.? डोंट हैव एनीवन टू ब्लेम. कॉज इट्स वाज ओनली मी, हु रुइन्ड इट आल.
सो , एज आई वाज प्रीप्रेयिंग फॉर गवर्मेंट एग्जाम्स. सो, घर वालों ने यहाँ भेज दिया. एज देयर इज आल्सो ए ब्रांच ऑफ़ महेन्द्राज.
सो मैं वहां फिर से शिफ्ट हो गया. फिर दोबारा घर से बाहर, दूर कहीं..!!
स्टार्टिंग में तो बहुत गोली दी घर वालों को. आज-नहीं कल! कल-नहीं परसों. यकीं मानिए इसी में 6 महीने बीत गए.
पहले गर्मी के जाने का इंतज़ार कर रहा था, फिर ठंडियों के. तो कभी पा के इस बात के भूलने का इंतज़ार करता.
सो वो दिन फाइनली आ गया. मैंने सामान पैक किया एंड हेडेड टुवर्ड्स माय न्यू टूरिस्ट डेस्टिनेशन स्पॉट. :D
हैं तो सारे बैचलर्स मेरे बिल्डिंग में वहां, बट इट्स सीतापुर!! काफी लाउड है, सब-के-सब. एक बैंक मेनेजर भी कोई है, मेरे जस्ट बगल वाले
के रूम में. मुझे कुछ शक हुआ उसके लाइफस्टाइल पे, सो मैंने पुछा किसी से, यार "ये जनरल का तो नहीं लग रहा हैं..??"
सामने से जवाब आया- " OBC हैं ई." एनीवे जाने से पहले मैंने एक रेजोल्यूशन बनाया, देट आई ऍम गोंना क्विट फेसबुक!!
नॉट फॉर गुड, फॉर समटाइम्स. सो आई डीड. जस्ट फॉर एक्सपेरिमेंट. कुछ क्रिएटिव करने को नहीं बचा फिर पढने के अलावा. :D
सो समवन सज्जेस्टेड मी टू, "फक #twitter". एज आई हैव आलरेडी साइंड अप देयर फ्यू मंथ्स एगो, सो व्हाट आई आल नीड टू डू वाज
कमप्लिटिंग माय प्रोफाइल. सो आई डीड. यू कैन अल्सो कैच मी अप देयर @themanjesh
तीन चार दिन बाद यूज़ करने के बाद पता चला की इसके डेवल्पर को क्या आईडिया आया होगा.
इट्स रियली कूल देट यू कैन गेट इन टच विथ लाइक वन डोर डिस्टेंस. मुझे कभी कभी एहसास होता था जैसे, Kate Upton लिव्स
नेक्स्ट डोर! :D ओफ़्फ़्कौर्से नॉट!! जोक्स अपार्ट!! बस ऐसा ही कुछ सोचा होगा उस twitter के मार्क ज़ुकेरबर्ग ने!!
हाँ पता है, मुझे उसके सीईओ का नाम नहीं मालूम अब तक!! ;) कुछ नया तो सोचा बन्दे ने!! एनीवे सोचने से याद आया, अभी
वहीं पे मुझे एक नयी वेबसाइट का आईडिया आया, मैं बड़ा खुश था, लेकिन जब अपने भैया को बताया इस बारे में, ही सेड
" ड्यूड देट्स ईल लीगल ". सो आई हेड टू ड्राप देट आईडिया.. बस ख़ुशी थी इस बात की, "मैंने कुछ तो अलग सोचा.."
वो कहते हैं न - "आवयश्कता ही अविष्कार की जननी है", तो बस कुछ ऐसा ही था.
नो, आई ऍम नॉट गोना टेल यू देट आईडिया, अन्लेस यू बाय मी ए iphone 6s:p :D (देट्स वर्थ माय आईडिया मैन..!!) :D
दूसरे रेजोल्यूशन के बारे में भी कुछ करना बांकी था, येह! देट वाज अबाउट माय हेल्थ/फिजिक.
सो आई सेट माय अलार्म, लेकिन नहीं उठ पाया तीन दिनों तक. खुद को बहाने बना कर फुसला लेता था.
"मंजेश, अभी सो जा यार! कल से जायेंगे!! पक्का..!!"
"मंजेश, लाइट नहीं है अभी, कहाँ अँधेरे में हाथ-पैर मारेगा..? कल से जायेंगे!! पक्का..!!"
" ओह नो!! बारिश हो रही है..!! कल से जायेंगे!! पक्का..!!"
हर दिन मैं रिग्रेट करता, "यार काश तू आज उठ जाता.."
लेकिन चौथे दिन पता नहीं क्या हुआ, अलार्म बजते ही मैं मैं उठ के बैठा गया. शूज पहने, कानों में ईयरफ़ोन लगाया और शुरू कर दिया दौड़ना.
नहीं, सडकें अच्छी है खटीमा से. शायद वहां का विधायक कोई उत्सव/प्रोग्राम करने के अलावा कुछ काम भी कराता होगा.
वहां के लोगों को पान खाने की ज्यादा आदत है, तो उसका प्रभाव आपको सड़कों पे लम्बे लम्बे निशान से पता चल जाएगा.
येह! वेलकम टू इंडिया बेबी!! तो, धीरे-धीरे ज्यादा और ज्यादा दौड़ता गया. और हाँ! इसी बीच मैंने अपना वो स्कलकैंडी का ईयरफ़ोन ख़राब कर दिया.
आई स्टिल रेमेम्बेर देट फकिंग ट्यूसडे. पूरा दिन उदास रहा था मैं. सांस में सांस आई जब पता चला देट इट्स स्टिल अंडर वारंटी.
इससे एक चीज़ अच्छी तो हुई है, देट इज मेरी चलने की आदत फिर से बनने लगी है. क्यूंकि दिल्ली में तो बस कदमों के सफ़र के लिए DTC हुआ
करती थी. एंड येह! , वन मोर गुड थिंग, आई स्टार्टेड राइटिंग माय डायरी अगेन. कुछ पहले जैसा भी होने लगा. छूट गया था ये सब,
जब से मैं लैपटॉप आया और मैं उसका आदी हो गया.
जहाँ तक लड़कियों की बात है, अभी तक वैसी कोई दिखी नहीं, जिसको देख के धड़कन बढ़ जाए..
दिल्ली की तो बात ही कुछ और थी.. आई मीन, येस! इट्स ऑन ऑफ़ द रीज़न देट समटाइम्स आई मिस लिविंग इन डेल्ही.
अगर कोई मिली ऐसी तो नयी लप्रेक पोस्ट करूँगा. इससे याद आया कि आई गोट अ आईडिया ऑफ़ माय फर्स्ट नावेल.
मैंने तो नाम भी सोच लिया है, उसका. अभी कुछ वक़्त लगेगा उसको पब्लिश करने में..
एंड यू क्नो व्हाट, वहां Woodland, Red Chief, Peter England और Liberty के ऑफिसियल
शोरूम भी है. यू क्नो व्हाट आई मीन!! ;)
बांकी जो है सो तो हईये है..!!
:- #MJ_की_कीपैड_से