रास्ता पता है मगर..मंजिल से अनजान हूँ

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Tuesday, 6 June 2017

'आम आदमी का आम दिवस' - Mango Man's Mango Day!

#आम_दिवस_2017
हाँ, मैं एक सच्चा 'आम' आदमी हूँ। मेरा 'आम' से यहाँ तात्पर्य उ दिल्ली के "आम आदमी पार्टी" वाले 'आम' से नहीं है। वो मुआ तो आजकल सबसे गाली खा रहा है। मेरा 'आम' से यहाँ तात्पर्य 'फलों के राजा' से है। अरे वो जो होता है एम् से मैंगो, आ मैंगो मनै 'आम'। अब आप सही पकड़े हैं बात को। दरसअल, मेरा ये जो आम के साथ जुड़ाव है, वो बहुते पुराना है जी। ये तब की बात है जब हम बहुत छोटे हुआ करते थे। 5 या 6 साल रही होगी उम्र तब। जब हम लोग गांव में ही रहते थे। हमारे पास तब आम की बगिया हुआ करती थी, आम के मौसम में दादा जी बाग के बीच में, बांस के लकड़ी और घास-
फ़ूस की मदद से एक मचान बनाया करवाते थे, छप्पर पे एक प्लास्टिक या पन्नी रखा जाता था, ताकि बारिश से बचा जा सकें, जिसपे वो पूरे आम के मौसम रहने तक वास करते। जी बिल्कुल सही समझे, अपने आमों की रखवाली के लिए। एक बार आम के डालों में मंजरों के टिकला/अमिया में बदलने की जरुरत होती, फिर दादा जी दिन और रात वहीँ बिताते। दिन या रात के खाने के वक़्त हम भाई बहन में से कोई वहां पहले जाता, तब ही दादा जी उस मचान को छोड़ने को राजी होते। तब तक हम बच्चे लोग बगिया में तरह-तरह के खेल खेलते। लूडो और व्यापार मेरा पसंदीदा हुआ करता था तब। कुल 6 पेड़ थे उस बाग़ में, जिसमें एक ही दशहरी (मालदव- स्थानीय नाम) था बाँकी 5 बनारसी (बम्बई- स्थानीय नाम) थे। बगीचे के बीचों बीच एक लीची का पेड़ हुआ करता था, हर आने जाने वाले की नज़र उसमें लगी रहती थी, तो उसका भी विशेष ख्याल रखा जाता था। आस पास के सभी बागों के मालिक अपने मचान बना के लग जाते तपस्या में। जो लगभग ढाई से तीन महीने तक चलती, और जिसके बाद मीठे फल के रूप में उनको वरदान मिलता। वैसे अब वो लीची का पेड़ बाग़ में नहीं रहा, जो कभी हमारे बाग़ की शान हुआ करता था। दादा जी की उम्र धीरे धीरे बढ़ने लगी, अब उनमें उतनी ताकत या सामर्थ्य नहीं रहा कि वो खुद रखवाली कर सकें। और तब तक हम भाई-बहन भी गाँव से बाहर निकल आ चुके थे, अच्छी शिक्षा और अच्छे जीवन के तालाश में। तो अब वहां गाँव में कोई बचा नहीं जिसके लिए रखवाली किया जाए, इसलिए राहगीरों के आखों में लीची के लिए पनपते लालच के कारण हमारे बागों को अवैध दख़ल से बचाने के लिए उन्होंने पेड़ को काट देना ही सही समझा। जब मुझे पता चला तो बहुत ही अफ़सोस हुआ। पास में ही बड़का बबा का भी बगिया था, उसमें एक पेड़ था शायद बबूल या सीसम का रहा होगा। वो पेड़ झुका हुआ था, जमीन से चिपका हुआ। हम सब भाई-बहन, दोस्त लोग एक साथ चढ़ के उसपे चढ़ते और झूलते। हालांकि एक बारी गंगू भैया उस पर से गिर पड़े थे, तो फिर हमें भी घर से उसपे बैठने की मनाही हो गयी थी।
अपने भाई बहनों में सबसे छोटा होने के कारण बहुत प्रेम मिलता था सबसे शुरू से। और उसमें दादा जी का बहुत अहम योगदान है। जब मैं छोटा था, तो मीठा बहुत पसंद करता था, हर वक़्त मीठे की रट लगाये फिरता था, तब मेरा सामना इस 'आम' नाम के जादूगर से हुआ। बहुते कमाल की चीज़ मालूम हुई थी हमें तब ये। फिर क्या था हम बहुत ज्यादा ही इसको खाने लगे। दादा जी भी अपने खाने की प्लेट में मिले आम में से, एक न एक तो ख़ास कर अपने छोटे पोते यानि की मेरे लिए छोड़ ही देते। और ये हर बार की बात होने लगी। किसी ने मुझे सुझाव दिया कि इन आमों को गिनने का। तो जहाँ तक मुझे याद है मेरी गिनती 88 तक पहुँच गयी थी। यानि दादा जी ने अपने हिस्से के 88 आम मुझे खाने को दिए थे। भई उस वक़्त तो ये बहुत बड़ी बात थी मेरे लिए, ऐसा इसलिए भी था क्योंकि तब गिनती एक से सौ तक ही हुआ करती थी। वो तो बाद में पता चला कि ये तो असंख्य तक जाता है मुआ! तो उन दिनों आम बहुत खाया। बहुत ज्यादा खाया। संस्कृत की एक पंक्ति है- "अति सर्वत्र वर्जयेत" अर्थात् किसी भी चीज़ की अधिकता, खराबी या नुकसानदेह होती है। और मैंने भी तो इस मामले में अति ही कर रखी थी। फलस्वरूप आम में मौजूद गर्मी के कारण, मेरे शरीर में जगह जगह फोड़े निकलने लगे। भई साब बहुत परेशान किया था उन दिनों फोड़ो ने। माफ़ी चाहता हूँ अगर आप ये पढ़ के असहज महसूस कर रहे हैं। तो अब घर के सभी लोगों ने मुझे आम खाने से मना करना शुरू कर दिया, दादा जी भी अब कभी कबार ही आम प्लेट में छोड़ा करते। लेकिन मैं कहाँ मानने वालों में से था, घर में पड़े आम का पता मुझे तो मालूम ही था, सो दो- तीन आम उठाता उन आम के ढ़ेर में से और उसे सबकी नज़र से बचाते हुए फुर्रर्रर्रर्रर्र......
जितनी दूर हो सके, घर वालों की नज़रों से, उतनी दूर जा के आम ख़त्म करता और फिर घर पे लौटता। बहुत ही अजीब-अजीब जगह जा के आम को खाया है मैंने।अब भी शरीर पे कई जगह उन फोड़ों की निशानी बची है। अब जो उन बातों को याद करता हूँ, तो बस एक मुस्कान आ जाती है, चेहरे पर।
फिर ये 'आम दिवस' मनाने का सिलसिला शायद 2008 से शुरू हुआ। जब पापा एक दिन अचानक ही 15 किलो आम मंडी से ले आये। तब खाने वालों में, मैं और मेरे बड़े भाई थे। तभी हम दोनों के बीच रेस लगी, कि कौन ज्यादा खा सकता है, तो मैंने उस वक़्त 7 आम खाये थे और 4 आमों से रेस हार गया था। उस साल का वो दिन था, और आज का ये दिन है, हर साल पापा ले ही आते हैं मेरे लिए, जी भर, पेट भर, और मन भर आम खाने को। हाँ जब कॉलेज में तीन साल बाहर दिल्ली रहा, तब मैं इस चीज़ को बहुत मिस करता, सोचता काश मैं अभी पापा के साथ होता। ऐसा नहीं है कि वहां दिल्ली में आम खाया ही नहीं, तीन चार बार बड़े शौक से बनारसी आम खरीद के लाया था, लेकिन चखने पे पता चला कि बस उसकी खुशबू ही बनारसी आम की तरह थी, बाँकी उसमें बनारसी आम जैसा कुछ नहीं था। खुद को ठगा महसूस करता। इसलिए फिर वहां आम को नहीं खाने का फैसला करना पड़ता।
हमारे बाग में एक साल के अंतर पे आमों के बौर अमिया में बदलते, तो उस साल मुझे आम की कमी बड़ी खलती। पता करवाता यदि नानी गाँव में आम के पेड़ में आम आये हैं, तो बस निकल लेता वहां, आम खाने। वहां तो ज्यादा विकल्प मिलते। वहां के पेड़ काफी बड़े हुआ करते थे, और मेरे लिए ताज़ा आम को तोड़ के गिराया जाता।

कभी कभी सोचता हूँ, समय, वो पुराना ही अच्छा था, जब फोन में कैमरा होना ही बड़ी बात मानी जाती थी, अब ये गूगल मैप्स और 4G के दौर में रिश्तों के बीच काफी दूरियाँ आ गयी है। रिश्तों में बहुत खटास आ गयी है। जैसे सब पास होते हुए भी दूर हो गए हैं। लेकिन ख़ुशी है मुझे पापा के रहते मेरा ये आम के प्रति घनिष्ठ प्रेम कभी नहीं टूटेगा। अच्छा लगता है मुझे, जब पापा बिन कहे ही मेरी बात जान जाते हैं। कल ही मैंने साल का पहला पका हुआ आम खाया। और आज ही मैं 'आम दिवस' मना रहा हूँ। मैं हमेशा याद रखूँगा पापा, आपकी इस बात को। लव यू ऑलवेज।
हाँ, अगर आप भी आम खाने के शौकीन है, तो आपको ये जरूर कहूँगा, कि अगर समय हो तो आम के ऊपरी हिस्से को, जिससे वो डाल से जुड़ा होता है, वहाँ से काट के उसे बाल्टी भरे पानी में घंटे भर रख दीजिये, उसकी गर्मी निकल जायेगी, और आप फोड़े से बच जायेंगे।
:D
जब तक मैं ये पोस्ट पूरा लिख पाया, तब तक मेरे आम पानी में ही रखे हुए हैं. चलता हूँ, उनको खाने. 'आम-दिवस' की ढेरों शुभकामनाएं|
#MJ_की_कीपैड_से

Monday, 5 June 2017

10 Movies of Salman, You didn't know, was copied or inspired from Hollywood


1. Ek Ladka Ek Ladki (1992)
Starring Neelam Kothari, who is a rich heiress, loses her memory, where a man (Salman) tries to brainwash her into believing that she is his wife. This is adapted from the American film ‘Overboard (1987)’ starring Kurt Russell and Goldie Hwan.

2. Judwaa (1997)
Starring Karishma Kapoor, this is a story about twins, who are separated at birth, finally meet in adulthood, who becomes a number of misadventures occur as they get mistaken for each other. Which is adapted From Chinese-American Superstar Jackie Chan’s ‘Twin Dragons’ (1992). 

3. Kahin Pyaar Na Ho Jaaye (2000)
Starring Rani Mukherjee (Priya), this is story of a wedding singer (Salman Khan), who falls for Priya. He soon learns that Priya is already engaged to another man, who treats her like garbage, and he must stop their wedding. This story is familiar with Hollywood Rom-Com ‘The Wedding Singer’ (1998) which Starred Adam Sandler and Drew Barrymore. 

4. Har Dil Jo Pyar Karega (2000)
Starring Rani Mukherjee (Pooja) and Preity Zinta (Jahnvi), this movie ruled box office for quite long. This was again adapted from Hollywood’s ‘While You Were Sleeping’ (1995) starring Sandra Bullock. Story starts from an accident, where Pooja goes in coma. (Raj) Salman rescues Rani from accident, and he mistaken for her fiancée by her family. Things complicate as Salman begins to fall in love with her sister (Jahnvi)

5. Phir Milenge (2004)
Starring Shilpa Shetty (Tamanna) and Abhishek Bachchan, is officially adaptation of Hollywood’s Philadelphia (1993) starring Tom Hanks and Denzel Washington. Story revolves around a woman (Shilpa) who’s infected with AIDS, and keeps this secret hidden from her bosses. When she is suddenly fired, she hires a lawyer (Abhishek) for a wrongful dismissal suit. It was disaster on the Box-office collection. In which Salman’ character played lover of Tamanna.

6. Maine Pyar Kyun Kiya? (2005)
Starring Sohail Khan, Sushmita Sen and introduced Katrina Kaif, this story revolves around a dentist (Salman Khan) who wants to marry his girlfriend. He convinces his assistant (Sushmita) to be his wife to cover a lie, but ends up complicating the situation further. Story was remake of ‘Cactus Flower’ (1969) and also performed well on Box-office collection.

7. Salaam-e-Ishq (2007)
It was a multi starring movie, which obviously clashed on Box-office collection. Story revolves around six couples who face problems in their lives when fate forces them to move away from each other. They must overcome these issues in order to make their love triumph, which is again remake of Hollywood flick ‘Love Actually’ (2003).

8. Partner (2007)
Love guru Prem (Salman) teaches men how to woo women. While helping his client Bhaskar (Govinda), who loves his boss (Katrina Kaif), Prem falls in love with a single mother (Lara Dutta) . Prem's love is threatened when his profession is revealed. Surely, it was a Blockbuster of its time, but it was officially remake of Hollywood’s Hitch (2005) starring Will Smith.

9. God Tussi Great Ho (2008)
Yeah! You heard it! It was disaster! It was official remake of ‘Bruce Almighty’ (2003), who did so well not just in his country but overseas too. Starring Jim Carrey, It was blockbuster and they (Bollywood) turned it into mess! Starring Amitabh Bachchan, Sohail Khan and Priyanka Chopra couldn’t save it! Story Revolves around A furious TV reporter (Salman), who demands an explanation from God for the injustice done to him. The Almighty (Amitabh Bachchan) gives him the power to run the world for a while, to teach him how difficult it is.

10. Tubelight (2017)

Don’t know if you already heard it! But yes! This is true. This is latest and last but not ‘The’ least in this segment, which is also about to hit the theatres in upcoming Eid. This is inspired with Hollywood’s 2015 flick named- ‘Little Boy’. Which tells a story about a kid and his believes, whose father has been gone to war against Japan. An encounter with a magician (Ben Chaplin) and advice from a priest (Tom Wilkinson) convince Pepper (Lead Artist) that the power to bring his dad back safely may be within himself and his actions. I found this movie cute and I’m hoping ‘Tubelight’ could do justice with its original flick.
 So, this is it! How did you feel about it. Let me know in the Comment Box.