"तुम्हारे गाल.... कभी देखा है तुमने इनको..गौर से... तुम रसगुल्ला हो मेरी.."
वो हंसी।
"चलो..इसी बात पे, आज का रसोगुल्ला तुम्हें खिलाता हूँ, मेरी तरफ़ से"
"आज.. आज कुछ है क्या..?", वो बोली।
"मैंने तो सुना था..लड़कियों और तारीखों की गहरी दोस्ती होती है, बल्कि.. कुछ-एक तो इन्हें तलवार की तरह इस्तेमाल करती है"
अरे बाबा..नहीं ध्यान आ रहा है, बताओ तो सही।
"चलो..चलते हैं, दास बाबा के यहां..जहाँ हम मिले थे.."
"दास बाबा, दो रसोगुल्ला लगाना, एक ही प्लेट में, और हां...एक ही चमच्च.." बोल के उसने उसकी तरफ चोरी से नज़रें घुमायी। उसने, उसका मुस्कुराते हुए चेहरा को देख लिया था।
पहला टुकड़ा उसने उसको खिलाया.. बोला हमारी सालगिरह मुबारक हो.."
"ओह तेरी.. मैं ये..कैसी भूल गयी.."
ठीक एक साल बाद दोनों ने वहीं मिलने का तय किया.. वही दास बाबा के दुकान पे।
इस बार उसने सोचा हुआ था, कि वो दास बाबा के नए स्पेशल सोन्देश खिलायेगा, रसोगुल्ला के साथ।
"दास बाबा.. दो प्लेट में लगाना आपके सबसे फेमस वाले सोन्देश"
"बेटा चमच्छ दो..या..एक" बाबा ने पूछा, और दोनों मुस्कुरा दिए।
"टेबल पे सोन्देश को सजे.. घंटे से ज्यादा हो गए..लेकिन वो नहीं आयी.."
वो उठा, सोन्देश को वैसा ही सजा हुआ छोड़ के मेन्यू में सौ के दो नोट रख के भारी कदमों से बाहर की ओऱ चल पड़ा।
वो हंसी।
"चलो..इसी बात पे, आज का रसोगुल्ला तुम्हें खिलाता हूँ, मेरी तरफ़ से"
"आज.. आज कुछ है क्या..?", वो बोली।
"मैंने तो सुना था..लड़कियों और तारीखों की गहरी दोस्ती होती है, बल्कि.. कुछ-एक तो इन्हें तलवार की तरह इस्तेमाल करती है"
अरे बाबा..नहीं ध्यान आ रहा है, बताओ तो सही।
"चलो..चलते हैं, दास बाबा के यहां..जहाँ हम मिले थे.."
"दास बाबा, दो रसोगुल्ला लगाना, एक ही प्लेट में, और हां...एक ही चमच्च.." बोल के उसने उसकी तरफ चोरी से नज़रें घुमायी। उसने, उसका मुस्कुराते हुए चेहरा को देख लिया था।
पहला टुकड़ा उसने उसको खिलाया.. बोला हमारी सालगिरह मुबारक हो.."
"ओह तेरी.. मैं ये..कैसी भूल गयी.."
ठीक एक साल बाद दोनों ने वहीं मिलने का तय किया.. वही दास बाबा के दुकान पे।
इस बार उसने सोचा हुआ था, कि वो दास बाबा के नए स्पेशल सोन्देश खिलायेगा, रसोगुल्ला के साथ।
"दास बाबा.. दो प्लेट में लगाना आपके सबसे फेमस वाले सोन्देश"
"बेटा चमच्छ दो..या..एक" बाबा ने पूछा, और दोनों मुस्कुरा दिए।
"टेबल पे सोन्देश को सजे.. घंटे से ज्यादा हो गए..लेकिन वो नहीं आयी.."
वो उठा, सोन्देश को वैसा ही सजा हुआ छोड़ के मेन्यू में सौ के दो नोट रख के भारी कदमों से बाहर की ओऱ चल पड़ा।