#थैंक_यू_नोट #2K17
#रविदास जयंती तो आज स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों के लिए होगा, #टेडी_डे तो प्यार पड़े बन्दों के लिए होगा. मैंने कभी आज यानि 10 फरवरी को
अपने जन्मदिन से ज्यादा न माना है, न मानूंगा. सो, हैप्पी बर्थडे टू मी...
क्या नया होता है अब, जन्मदिन पे! वही पहले की तरह शुभकामनाएं, तीन-चार किटकैट के चोक्लेटस, और
वही अपना थैंक यू - थैंक यू कहना वाला फ़र्ज़ अदा करना. अभी गाँव में मुझे दीदी ने रियलाइज करवाया तू 24 को हो गया है.
मैं उसकी ये बात सुन हक्का-बक्का रह गया.
"क्या...क्या..कह रही है..", "पागल है क्या...?" "अभी कहाँ से हो गया 24 का मैं...?"
और क्या जोड़ तो जरा.. 23 पूरा लग गया है तेरे को, 24 वें क्लब में तू एंट्री मार चुका है,ओफ्फिसियली.
मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था.. मैंने कॉपी और पेंसिल निकाल के उसे बताया...
"अभी मुझे 22 साल 11 महीने और केवल 27 ही दिन हुए हैं. "
मैंने कह तो दिया, लेकिन मुझे खुद के कहे पर ओफ्सोस हो रहा था.
क्या...क्या.. मैं 23 का होने वाला हूँ, और अभी तक मेरे पास कोई नौकरी नहीं है.
"दो साल बाद मैं तो अधिकतर एप्लीकेशन फॉर्म भरने कि क्राइटेरिया को भी फुल्फिल्ल नहीं कर पाउँगा. हेल नो..!!!"
मुझे ऐसा लग रहा था की मैंने अपनी तय उम्र कि एक तिहाई जी ली है. और ऊपर से दीदी के ताने...!!
"देख! उस शर्मा जी के लड़के को, अब तो वो भी वर्किंग हो गया है.."
अमां ये शर्मा जी का लड़के/लड़की जैसे बन्दे हर बार हीरो बन जाता है, अपने सोचा है कभी..
उधर से मेरा 5 साल का भांजा बोल पड़ा, जिसको मैंने ही बोलने को सिखाया था..
"मामू स्मार्ट है...!!"
ये लो, और एक बात मिल गयी, घर वालों को सुनाने के लिए... माँ बोली..
"हाँ, ये स्मार्टनेस ले कर कहाँ जाएगा, जब तक कोई ढंग कि नौकरी पास नहीं होगी. कोई बाप, अपनी बेटी सौंपेगा इसको, इस निट्ठले लेकिन स्मार्ट दुल्हे को...?"
और मैं भांजे को तिरछी निगाह से देख के सोच रहा था, "गये बेटा तेरे 2 रु जो मैं तुझे देने वाला था,फोंफी के लिए"
और जबसे मेरे दोस्तों/क्लास्स्मेट्स की शादी की फोटोज फेसबुक पे पोस्ट होती है, दिल में एक टीस सी उठती है..
"अबे! इसकी भी हो गयी..?? यानि ये भी वर्किंग हो गया.. छे:!!, और मैं....??"
और तो और अब बस में साथ वाली सीट पे बैठी अम्मा भी पूछती है.. (बस के म्यूजिक सिस्टम में चल रहे "कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं गाना सुन कर...")
"शादी हो गयी बेटा...?,जब तुम्हारी बहुरिया आवेगी, तो अपनी अम्मा को भूल न जाना..."
और मैं बस सुन के मुस्कुरा देता हूँ. क्या बताऊ उस अम्मा को..अपने दिल के ज़ज्बात...
"जेब में पैसे नहीं है, मतलब.... जो है.. खुद के कमाए हुए नहीं है... :D , हाथ में नौकरी नहीं है, और छोकरियों से तो दूर दूर तक अब नाता नहीं है..
और आप शादी कि बात करते हो..."
इससे अच्छा तो जन्मदिन का बड़ा मजा तब आता था, जब हम छोटे थे. सुबह सुबह उठने पे ही बर्थडे विशेज मिलने लग जाती थी,और कल तो पापा को भी
याद नहीं रहा, वो तो मैंने उनकी f.r एक्सेप्ट की हुई है तो उनको पता चल गया, और उन्होंने शाम को विश किया. भूल गए होंगे शायद..
एनीवे.. पिछली बार से इस बार कुछ कम ही मिले हैं टाइमलाइन पे शुभकामनाएं कुछ 16, बट हु इज काउंटिंग...
कुछ लोगों के कॉल एक्स्पेक्ट कर रहा था, जिन्होंने नहीं किया.. मेय बी बिजी रहे होंगे, इलेक्शन का टाइम है भई! पैसा जो बनाना है.. या कुछ और
वजहें रही होंगी..मैंने भी याद नहीं दिलाया..
अभी मैंने कुछ दिन पहले मैंने भाई को बताया कि मैं आजकल कुछ ज्यादा एन्टीसोशल बंदा बनता जा रहा हूँ.. किसी अनजान या नए के सामने
खुलने का दिल नहीं करता, जब कि वो, तब तक मुझे अपनी सारी करतूतें बता चुके होते हैं..
भैया कुछ रुक कर बोले, " बेटा! उसको #यू_डोंट_हेव_मच_फ्रेंड्स_अराउंड मर्ज या रोग के नाम से भी जानते है. भर दिन तू घर में ही बैठा रहता है,
ऐसा तो होगा ही.. चिंता न कर, आई हेव बीन थ्रू दिस फेज.. नए दोस्त बना... चिल्ल कर.. एंड यू विल बी फाइन."
कभी कभी सोचता हूँ, हम जितने बड़े होते जाते हैं, दोस्तों के बीच उतनी ही फोर्मलिटीज बढती जाती है. शायद इस बात को आपने भी महसूस किया हो.. जब
आप किसी से बात करने को मचल रहें हो, बट आपको पहले फोन करना पड़ता है टू क्नो, इफ देट पर्सन इज अवेलेबल और फ्री टू टॉक..
अब सब कुछ इतना वर्चुअल होता जा रहा है, कि लोग अब फ़ोन से ही दोस्तियाने लगे हैं.
सुबह सुबह अपनी बुक शेल्फ को दुरुस्त करने कि सूझी. उसी के दौरान मुझे अपनी 2013 की डायरी या जर्नल मिली. हाँ, लिखा करता था
जब तक लैपटॉप नहीं ख़रीदा था. नियमित रूप से लिखा करता था, और फिर मेरे पास लैपटॉप आ गया, और इन सब के लिए धीरे धीरे टाइम घटता गया.
लास्ट टाइम भी तब लिखना शुरू किया था, जब साथ में लैपटॉप नहीं था. तो उसी के पन्ने पलटते पलटते (दिसम्बर से उलटी तरफ) मैं 5 सितम्बर पर पहुंचा.
उसमें लिखा है....
"मैं लैब मैं बैठा हुआ हूँ, फिजिक्स की. इट वाज सेकंड सेमेस्टर. तभी बातों बातों में पता चलता है कि आज 5 सितम्बर है यानि टीचर्स डे. इसी को सुन के मुझे
कुछ अचानक से याद आता है और मैं फटाक से वहां से उठ के लैब के बाहर आ जाता हूँ. जेब से सेल फोन निकालता हूँ. नंबर डायल करता हूँ.
दूसरी तरफ से "हैलो" की आवाज़ आती है,और इधर मैं खुद को "हैप्पी बर्थडे भुप्पी" कहता हुआ सुनता हूँ." मैंने ये लिखा था, कि "मैं शर्मिंदगी महसूस
कर रहा था कि कैसे मैं अपने दोस्तों का जन्मदिन भूल सकता हूँ, ये लगातार दूसरी बार है पिछले कुछ महीने में. पिछले साल 5 सितम्बर को मैंने
उसको सुबह के 12 बजे सबसे पहले विश किया था और आज दोपहर के 12.30 के आस पास..",
पढ़ के कुछ सोच में पड़ जाता हूँ. क्या दिन थे तब...
इस बर्थडे का सबसे अच्छा गिफ्ट वो था, जब मुझे टीवी के चैनल स्किप करते करते पता चला कि
फात्मागुल फिर से शुरू हो गया है. मैं बस इतना ही जान के खुश था. इतनी ख़ुशी तो तब भी नहीं होती थी जब बचपन में शक्तिमान या जूनियर जी
देखने बैठता था. शायद इस बार फिर से देख सकूँ इस एपिक सी चीज़ को. मैंने पिछली बार इसको एपिसोड 24 से फॉलो करना स्टार्ट किया था, तो अब मैं इस
बार शुरू से देख सकूँगा, हॉपफुल्ली. दोपहर को Sausage Party देखने बैठा,लेकिन उसको भी कम्पलीट नहीं कर पाया. एक और अच्छी चीज़ ये कि
मुझे अपना ईअरफोन मिल गया, जो मुझे 2 feb. तक ही डिलीवर हो कर मिल जाना चाहिए था.. मेयबी इट वाज पार्ट ऑफ़ सम प्लान..
शाम को बस एक छोटी सी पार्टी करी. नयी चीज़ में मशरुम चोव्मिन ट्राय किया. और हाँ गुलाब जामुन कमाल के थे...
और... और क्या... बस इतनी सी थी ये कहानी...
थैंक यू अगेन!! थैंक यू आल!! :)
एनीवे हैप्पी बर्थडे टू #Emma_Roberts #Elizabeth_Banks & #Chloe_Grace_Moretz
बताया था न वी शेयर बर्थडेज.. Lucky girls, aye!
#रविदास जयंती तो आज स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों के लिए होगा, #टेडी_डे तो प्यार पड़े बन्दों के लिए होगा. मैंने कभी आज यानि 10 फरवरी को
अपने जन्मदिन से ज्यादा न माना है, न मानूंगा. सो, हैप्पी बर्थडे टू मी...
क्या नया होता है अब, जन्मदिन पे! वही पहले की तरह शुभकामनाएं, तीन-चार किटकैट के चोक्लेटस, और
वही अपना थैंक यू - थैंक यू कहना वाला फ़र्ज़ अदा करना. अभी गाँव में मुझे दीदी ने रियलाइज करवाया तू 24 को हो गया है.
मैं उसकी ये बात सुन हक्का-बक्का रह गया.
"क्या...क्या..कह रही है..", "पागल है क्या...?" "अभी कहाँ से हो गया 24 का मैं...?"
और क्या जोड़ तो जरा.. 23 पूरा लग गया है तेरे को, 24 वें क्लब में तू एंट्री मार चुका है,ओफ्फिसियली.
मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था.. मैंने कॉपी और पेंसिल निकाल के उसे बताया...
"अभी मुझे 22 साल 11 महीने और केवल 27 ही दिन हुए हैं. "
मैंने कह तो दिया, लेकिन मुझे खुद के कहे पर ओफ्सोस हो रहा था.
क्या...क्या.. मैं 23 का होने वाला हूँ, और अभी तक मेरे पास कोई नौकरी नहीं है.
"दो साल बाद मैं तो अधिकतर एप्लीकेशन फॉर्म भरने कि क्राइटेरिया को भी फुल्फिल्ल नहीं कर पाउँगा. हेल नो..!!!"
मुझे ऐसा लग रहा था की मैंने अपनी तय उम्र कि एक तिहाई जी ली है. और ऊपर से दीदी के ताने...!!
"देख! उस शर्मा जी के लड़के को, अब तो वो भी वर्किंग हो गया है.."
अमां ये शर्मा जी का लड़के/लड़की जैसे बन्दे हर बार हीरो बन जाता है, अपने सोचा है कभी..
उधर से मेरा 5 साल का भांजा बोल पड़ा, जिसको मैंने ही बोलने को सिखाया था..
"मामू स्मार्ट है...!!"
ये लो, और एक बात मिल गयी, घर वालों को सुनाने के लिए... माँ बोली..
"हाँ, ये स्मार्टनेस ले कर कहाँ जाएगा, जब तक कोई ढंग कि नौकरी पास नहीं होगी. कोई बाप, अपनी बेटी सौंपेगा इसको, इस निट्ठले लेकिन स्मार्ट दुल्हे को...?"
और मैं भांजे को तिरछी निगाह से देख के सोच रहा था, "गये बेटा तेरे 2 रु जो मैं तुझे देने वाला था,फोंफी के लिए"
और जबसे मेरे दोस्तों/क्लास्स्मेट्स की शादी की फोटोज फेसबुक पे पोस्ट होती है, दिल में एक टीस सी उठती है..
"अबे! इसकी भी हो गयी..?? यानि ये भी वर्किंग हो गया.. छे:!!, और मैं....??"
और तो और अब बस में साथ वाली सीट पे बैठी अम्मा भी पूछती है.. (बस के म्यूजिक सिस्टम में चल रहे "कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं गाना सुन कर...")
"शादी हो गयी बेटा...?,जब तुम्हारी बहुरिया आवेगी, तो अपनी अम्मा को भूल न जाना..."
और मैं बस सुन के मुस्कुरा देता हूँ. क्या बताऊ उस अम्मा को..अपने दिल के ज़ज्बात...
"जेब में पैसे नहीं है, मतलब.... जो है.. खुद के कमाए हुए नहीं है... :D , हाथ में नौकरी नहीं है, और छोकरियों से तो दूर दूर तक अब नाता नहीं है..
और आप शादी कि बात करते हो..."
इससे अच्छा तो जन्मदिन का बड़ा मजा तब आता था, जब हम छोटे थे. सुबह सुबह उठने पे ही बर्थडे विशेज मिलने लग जाती थी,और कल तो पापा को भी
याद नहीं रहा, वो तो मैंने उनकी f.r एक्सेप्ट की हुई है तो उनको पता चल गया, और उन्होंने शाम को विश किया. भूल गए होंगे शायद..
एनीवे.. पिछली बार से इस बार कुछ कम ही मिले हैं टाइमलाइन पे शुभकामनाएं कुछ 16, बट हु इज काउंटिंग...
कुछ लोगों के कॉल एक्स्पेक्ट कर रहा था, जिन्होंने नहीं किया.. मेय बी बिजी रहे होंगे, इलेक्शन का टाइम है भई! पैसा जो बनाना है.. या कुछ और
वजहें रही होंगी..मैंने भी याद नहीं दिलाया..
अभी मैंने कुछ दिन पहले मैंने भाई को बताया कि मैं आजकल कुछ ज्यादा एन्टीसोशल बंदा बनता जा रहा हूँ.. किसी अनजान या नए के सामने
खुलने का दिल नहीं करता, जब कि वो, तब तक मुझे अपनी सारी करतूतें बता चुके होते हैं..
भैया कुछ रुक कर बोले, " बेटा! उसको #यू_डोंट_हेव_मच_फ्रेंड्स_अराउंड मर्ज या रोग के नाम से भी जानते है. भर दिन तू घर में ही बैठा रहता है,
ऐसा तो होगा ही.. चिंता न कर, आई हेव बीन थ्रू दिस फेज.. नए दोस्त बना... चिल्ल कर.. एंड यू विल बी फाइन."
कभी कभी सोचता हूँ, हम जितने बड़े होते जाते हैं, दोस्तों के बीच उतनी ही फोर्मलिटीज बढती जाती है. शायद इस बात को आपने भी महसूस किया हो.. जब
आप किसी से बात करने को मचल रहें हो, बट आपको पहले फोन करना पड़ता है टू क्नो, इफ देट पर्सन इज अवेलेबल और फ्री टू टॉक..
अब सब कुछ इतना वर्चुअल होता जा रहा है, कि लोग अब फ़ोन से ही दोस्तियाने लगे हैं.
सुबह सुबह अपनी बुक शेल्फ को दुरुस्त करने कि सूझी. उसी के दौरान मुझे अपनी 2013 की डायरी या जर्नल मिली. हाँ, लिखा करता था
जब तक लैपटॉप नहीं ख़रीदा था. नियमित रूप से लिखा करता था, और फिर मेरे पास लैपटॉप आ गया, और इन सब के लिए धीरे धीरे टाइम घटता गया.
लास्ट टाइम भी तब लिखना शुरू किया था, जब साथ में लैपटॉप नहीं था. तो उसी के पन्ने पलटते पलटते (दिसम्बर से उलटी तरफ) मैं 5 सितम्बर पर पहुंचा.
उसमें लिखा है....
"मैं लैब मैं बैठा हुआ हूँ, फिजिक्स की. इट वाज सेकंड सेमेस्टर. तभी बातों बातों में पता चलता है कि आज 5 सितम्बर है यानि टीचर्स डे. इसी को सुन के मुझे
कुछ अचानक से याद आता है और मैं फटाक से वहां से उठ के लैब के बाहर आ जाता हूँ. जेब से सेल फोन निकालता हूँ. नंबर डायल करता हूँ.
दूसरी तरफ से "हैलो" की आवाज़ आती है,और इधर मैं खुद को "हैप्पी बर्थडे भुप्पी" कहता हुआ सुनता हूँ." मैंने ये लिखा था, कि "मैं शर्मिंदगी महसूस
कर रहा था कि कैसे मैं अपने दोस्तों का जन्मदिन भूल सकता हूँ, ये लगातार दूसरी बार है पिछले कुछ महीने में. पिछले साल 5 सितम्बर को मैंने
उसको सुबह के 12 बजे सबसे पहले विश किया था और आज दोपहर के 12.30 के आस पास..",
पढ़ के कुछ सोच में पड़ जाता हूँ. क्या दिन थे तब...
इस बर्थडे का सबसे अच्छा गिफ्ट वो था, जब मुझे टीवी के चैनल स्किप करते करते पता चला कि
फात्मागुल फिर से शुरू हो गया है. मैं बस इतना ही जान के खुश था. इतनी ख़ुशी तो तब भी नहीं होती थी जब बचपन में शक्तिमान या जूनियर जी
देखने बैठता था. शायद इस बार फिर से देख सकूँ इस एपिक सी चीज़ को. मैंने पिछली बार इसको एपिसोड 24 से फॉलो करना स्टार्ट किया था, तो अब मैं इस
बार शुरू से देख सकूँगा, हॉपफुल्ली. दोपहर को Sausage Party देखने बैठा,लेकिन उसको भी कम्पलीट नहीं कर पाया. एक और अच्छी चीज़ ये कि
मुझे अपना ईअरफोन मिल गया, जो मुझे 2 feb. तक ही डिलीवर हो कर मिल जाना चाहिए था.. मेयबी इट वाज पार्ट ऑफ़ सम प्लान..
शाम को बस एक छोटी सी पार्टी करी. नयी चीज़ में मशरुम चोव्मिन ट्राय किया. और हाँ गुलाब जामुन कमाल के थे...
और... और क्या... बस इतनी सी थी ये कहानी...
थैंक यू अगेन!! थैंक यू आल!! :)
एनीवे हैप्पी बर्थडे टू #Emma_Roberts #Elizabeth_Banks & #Chloe_Grace_Moretz
बताया था न वी शेयर बर्थडेज.. Lucky girls, aye!

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