रास्ता पता है मगर..मंजिल से अनजान हूँ

रास्ता पता है मगर..मंजिल से अनजान हूँ

Tuesday, 27 September 2016

कॉलेज का वो आखरी दिन

23 May 2015
तो अब फाइनली वो दिन आ गया था, जिसका इंतज़ार हम सब ने कॉलेज के अपने पहले दिन से किया था.
ये सोचते रहते थे, कि कैसे बीतेंगे ये आने वाले 3 साल..? घर से बाहर..!! इत्ती दूर!
और फिर वो आखरी दिन भी आ गया था. मुझे आज ध्यान भी नहीं है, कि उस आखिरी दिन, किस सब्जेक्ट का
एग्जाम था. अमूमन हम एग्जाम के बाद एक दुसरे से पूछते - "कैसा गया तेरा पेपर..?''
पर उस दिन की बात अलग थी. हम लोग एग्जाम के खत्म होने की ख़ुशी को पूरी तरह एन्जॉय नहीं कर रहे थे.
जैसे पिछले सभी सेमेस्टर के एग्जाम के ख़त्म होने के बाद हमारे आँखों में ख़ुशी, और चेहरे पर एक सुकून तैरता
रहता था, और प्रभाकर को अपने घर (कानपुर) भागने कि चिंता सताया करती थी. वैसा कुछ नहीं था इस बार.
 हाँ, ये प्रभाकर वाली बात सारे सेमेस्टर में होती थी.! :D एग्जाम ख़त्म हुए नहीं कि इन जनाब कि नज़रें कॉलेज कि गेट
पर टिक जाया करती थी. पर जैसा की बताया मैंने, इस बार बात अलग थी. तो वो भी उस दिन देर तक रुका था.
  एग्जाम के शुरू होने से पहले हम दोस्त लोग प्लान बनाया करते थे, कि कहीं घूमने चलेंगे.. दिल्ली का कोई नया
इलाका एक्सप्लोर करेंगे. ये सिलसिला शायद तीसरे सेमेस्टर से चलता आ रहा था, यानि  तबसे, जबसे हमारी यारों कि गैंग बनी.
तो उस दिन भी हम लोग कॉलेज की कैंटीन में बैठे थे. बातें चल रही थी. हंसी- मजाक और ठहाके लगाये जा रहे थे.
मेरा मूड था तुगलकाबाद  फोर्ट या वो साकेत का गार्डन ऑफ़ फाइव सेंसेस घूमा जाए. और अंकित इधर अक्षरधाम घूमने
कि रट लगा रहा था. गर्मी भी काफी थी उस दिन. सबने अपने अपने विचार रखना शुरू किया. शिखा ने अपने पहले ही कदम पीछे कर लिए.
'मैं नी जा पाऊँगी यार, आई एम् सॉरी..'
इधर रिया मूवी के लिए कह रही थी. उन दिनों Piku रिलीज़ हुई थी. उसका आईडिया भी बुरा नहीं था. फिर लास्ट में अक्षरधाम जाने
का प्लान बना. इस बार भी अंकित कि ही चली. कमबख्त!!  तो, वो मेरा दूसरा टूर होने वाला था अक्षरधाम का. पहली बार जब गया था,
तब भी अंकित साथ था.  और वो प्लान भी अचानक से बना था.
Back In Time-
 हमारा शायद उस दिन भी कोई एग्जाम ख़त्म हुआ था. देट वाज सैटरडे. आई कैंट रिकॉल द एक्जेक्ट डेट. तो उस दिन अंकित मेरे
रूम पे आने वाला था. हम साथ में बस में बैठे थे, नहीं एक्चुअली खड़े थे. मेरे घर के स्टॉप से पांच स्टॉप पहले मुझे अचानक से एक ख्याल आया.
''यार! अक्षरधाम चलें..?''
 (सोच रहा होगा, इसे क्या हो गया होगा..?)
''तू नी गया है क्या कभी..?", उसने पूछा.
''ना.. ,काफी सुना है मैंने, उसके बारे में.. इतना अच्छा है क्या..?''
''और क्या...!!'', उसने कहा.
''चलें.. बता..??''
''हाँ, चलते हैं..''
"कोई दिक्कत तो नहीं..'', मैंने पूछा!!
"ओ..!! दिक्कत काहे की..."
इट इज वन ऑफ़ द आल्सो रीजन, आई लव दिस गाए! कभी कोई लोड ही नहीं लेता है ये बंदा.
मैंने रास्ते में उसको बताया कि, मुझे इसके वाटर / फाउंटेन शो के बारे में किसी ने बताया है कि,
''अगर! तूने ये देख लिया, तो तुझे लगेगा कि, तूने कुछ अच्छा देखा है लाइफ में''.
हम वहां पहुंचे, हमने घूमा. लेकिन पता चला वहां पहुँचने के बाद कि अभी वो फाउंटेन शो नहीं चलता.
उन दिनों उसमें कंस्ट्रक्शन चल रहा था. तो मैं वो शो ही नहीं देख पाया था. अंकित पहले से ही देख चुका था.
दिल्ली में रहता है बंदा, इतना तो कर ही सकता है. वैसे भी, उसको भी घूमना पसंद है, मेरी तरह.
उस दिन हमने फिर डीसाइड किया - वी विल कम अगेन फॉर देट वाटर शो ओनली!
Back To That Last Day...
 तो मैंने भी हाँ कह दिया अक्षर धाम को. भई! वीटो पॉवर तो था मेरे पास! :p भले आईडिया अंकित का माना गया.
 तो हम निकले कॉलेज से. जाने के लिए शिखा को छोड़ सब तैयार हो गए थे.
तो हम सात (मैं, अंकित, विशाल,अनुराग, कुनाल, रिया और शिवानी) सत्यनिकेतन के बस स्टॉप पे पहुंचे.
हमने एक गाइड हायर किया. काफी अंकित जैसा दिखता था. फिर बाद में पता चला , ये अंकित ही था.
साणा बन रहा था बहुत.
''खाली, चिंता कर रहे हो तुम लोग, मैं हूँ ना. मैं ले जाऊँगा तुम सबको.'', चौड़ा बनते हुए बोला.
कुनाल का हमारे साथ ये शायद पहला टूर था. नहीं दूसरा. हुमायूँ टोम्ब वाज द फर्स्ट.
हुमायूं टोम्ब वाले दिन पता चला कि अंकित और कुनाल के बीच अंडरस्टैंडिंग बहुत है.
उस वाकये का ज़िक्र बाद मैं करूँगा. वैसे तुम लोगों को याद है कि नहीं, व्हाट आई ऍम टॉकिंग अबाउट..? :D
सो, तीन बस बदलने के बाद, वी वर देयर. नॉट टू फॉरगेट, उसमें से एक में रिया ने बिना टिकट यात्रा की. :D :D :D
यात्रा....!!!! :p ( नहीं, बांकी सब के पास 'बस पास' था :p )
वहां स्टॉप पे उतरने के बाद हम लोगों ने नारियल पानी पिया. इट वाज डैम हॉट डे. और पानी पीते हुए कुनाल ने अपनी
पागलपंती शुरू कर दी. मुझे शिंचैन और टॉम और जेरी के बाद, जिसने सबसे ज्यादा हँसायाहै, वो यही है. कुनाल!!
ही इज टू गुड. थैंक्स बडी, फॉर दोज स्टुपिड थिंग्स. आई लव्ड दोज.
 हाँ, फिर हम चल पड़े अक्षरधाम कि तरफ...
 मैंने अन्दर घुसते ही पता किया, कि "क्या अभी वो फाउंटेन शो चल रहा है..?''
आई वाज रियली रिलीव्ड आफ्टर लिसनिंग- "uh-huh"
हमने वहां कुछ देर बाहर इंतज़ार किया. उनके कैफ़े-टेरिया के पास. जिनको नहीं पता
मैं उनको बता दूं, कि मंदिर के अन्दर कुछ भी एलॉ नहीं है, सेल फ़ोन तो दूर कि बात, इवन पर्स भी नहीं.
मीन व्हाईल अंकित हमारे बैग एंड आल बेलोंगिंग्स को जमा कर आया. देन वी वर इन द क्यू. चेकिंग हो जाने के
बाद हम लोग अन्दर कि और बढ़े. अनुराग, रिया, शिवानी और विशाल के लिए शायद ये पहली बार था.
हमने पूरा मंदिर घूमा. प्लेस इज सो कूल, नो डाउट अबाउट देट. आई डोंट क्नो मच अबाउट आर्ट, बट आई कैन सेय देट
ये मॉडर्न आर्ट का सबसे खुबसूरत एक्जाम्प्ल है. हमने वहां शो के टिकट के बारे में पता किया. इट वाज समवेयर नियर
60-80 इंडियन रुपीज. सो इट वाज इन माय बजट. मैं अंकित के लिए श्योर था, कि ये बंदा तो पक्का आ रहा है, मेरे साथ शो के लिए.
तो हमने बंकियों से कन्फर्म किया. हु आल आर इन और इंटरेस्टेड..? शो क्यूंकि अँधेरा होने पर ही शुरू होता है. एज इट सेज इटसेल्फ
- "वाटर-लाइट-फाउंटेन शो". तो इनको (रिया, शिवानी) लेट हो जाता घर पहुँचते- पहुँचते. और इन्होंने ने ऊपर से परमिशन भी नहीं
ली थी अपने घर वालों से. तो इनका तो कैंसल हो गया. बांकी बचे ये दो लौंडे - अनुराग और विशाल. विशाल सेड- ''मैं नी रुक रहा, रात तक.''
तो क्यूँकि विशाल ने मना कर दिया, अनुराग डिनाइड टू. क्यूंकि उनको ऑलमोस्ट एक ही तरफ जाना था घर को. तो उनको कंपनी मिल जाती एक-दुसरे की.
कुनाल भी पहले बोला- मेरा टिकट भी रहने दे, शो के लिए. इसका मतलब बस मैं और अंकित ही बचे थे. हम दोनों अकेले भी शो देख लेते.
लेकिन कुनाल भी बाद मान गया. जैसा कि अंकित और कुनाल को एक ही तरफ ( फरीदाबाद) जाना था. एंड देट वाज डैम फार फ्रॉम देयर.
तो अंकित का साथ नहीं आता देख, फाइनली कुनाल को हाँ कहना पड़ा. :D देट वाज फन अंकित. इफ यू स्टिल रेमेम्बेर..
सो, हमने तीन टिकट ले लिया. मैं, अंकित और कुनाल. काफी टाइम बचा था, शो शुरू होने में. सो, हम सात ने वहीँ के कैंटीन जाने का डिसाइड किया.
फर्स्ट थिंग केम अप टू मी, आफ्टर रीडिंग देयर मेन्यू. ''ड्यूड इट्स प्रीटी एक्सपेंसिव"
"हाँ, वो तो है..", अंकित सेड.
 वी आर्डरड समोसा अलोंग विथ ए कोल्डड्रिंक. (या बर्गर आर्डर किया था बे..??)
( मुझे ठीक से याद नहीं, करेक्ट मी, इफ आई ऍम रॉंग, अंकित.)
 खाते -खाते ही शिवानी ने रोना शुरू कर दिया. पहले तो धीरे-धीरे ही शुरू हुई. फिर उसके आंसुओं कि रफ़्तार बढ़ी धीरे-धीरे.
हम सब शॉक थे, "भई! क्या हो गया इसको..'', सबके चेहरे पर यही सवाल था.
"क्या हुआ शिवानी, किसी ने कुछ कहा क्या...?", मैंने पूछा.
अंकित पहले ही समझ गया, व्हाट कुड बी पॉसिबल रीजन..!! देख अंकित! मैं कहा करता था न, तू हम सब में सबसे ज्यादा समझदार है.
ये हम सबसे अलग होने का दर्द था. जो उसके आंसुओं में छलक आया. अंकित वाज हर बेस्ट फ्रेंड. और इन पिछले एक साल में हमारी दोस्ती
भी बहुत अच्छी हो गयी थी. इधर बांकी लोग, उसको रोता हुआ देख कर, हम साथ वालों को अजीब नज़रों से देख रहे थे.
और इधर रिया की आँखें भी भर आई, उसको चुप कराते-कराते. वो भी समझ गयी. और इधर हम चार लड़के ये कह के चुप करा रहे थे-
"क्या यार! इसमें रोने वाली क्या बात है..??, चुप हो जाओ दोनों."
"रिया-शिवानी!! सब देख रहे हैं, चुप हो जा.."
बीच बीच में कुनाल के सुनाये जा रहे जोक्स  पर दोनों हंस भी देते. ये प्लान काम होता देख, फिर मैंने और अंकित दोनों ने, उन दोनों
को हँसाना शुरू कर दिया. वी फिनिश्ड आवर कोर्स. हम बाहर निकले, कैफ़े-टेरिया से.
और अब रुख्सत का पल आ गया था. एंड दे वेयर स्टिल क्रयिंग. आई नेवर थॉट, दे विल क्राई फॉर अस.
देट वैरी मोमेंट वाज रियली मैजिकल. एवरीथिंग स्टार्टेड मेकिंग सेन्स. आई स्टार्टेड हैविंग फ़्लैश बेक. हाउ आई मीट दोज टू सिल्ली गर्ल- शिवानी एंड रिया.
कैसे मैंने उसको अच्छे- बुरे कि पहचान करायी. :D द डे व्हेन वी (मी एंड शिवानी) एक्सचेंज्ड आवर कांटेक्ट नंबर, कॉज शी नीडेड सम वन टू फिनिश
हर लंच. :D देट वाज रियल स्वीट शिवानी. द डे व्हेन आई नेम्ड हर 'साणी', आफ्टर ट्रिकिंग मी, आफ्टर द लैब. द वे शी यूज्ड टू सीट ऑन द डेस्क इन क्लास
, द वे शी यूज्ड टू सीट इन डी.टी.सी. विथ हर फ्रेंड शिखा. द वे व्हेन शी यूज्ड टू कौट मी रेड हेनडेड व्हाईल, आई यूज्ड टू चेक आउट अनदर गर्ल्स.
एंड राईट आफ्टर देट, देट वैरी 'लाफ' वी यूज्ड टू शेयर'. द वे शी यूज्ड विंक मी.. पागल!!
 द मोमेंट व्हेन वी (मी & रिया) हेड आवर फर्स्ट इंटरेक्शन, ऑन द रूफ ऑफ़ जी.सी.आर, द मोमेंट



व्हेन आई
केम टू क्नो, देट शी इज फ्रॉम बिहार. छपरा गर्ल!! :D आल द जोक्स क्रेक्ड ऑन हर. बेस्ट थिंग वाज , उसने कभी बुरा नहीं मना. ऑल दोज
टाइम वी स्पेंट टूगेदर, हर टर्न इन ट्रुथ एंड डेयर गेम, जब उसने पागलों कि तरह जिद्द की, कि मुझे डेयर ही चाहिए.
'' इ हमारा घर नहीं है.." :D :D
हाउ आई यूज्ड टू आंसर हर दोज वीयर्ड क्वेश्चनस, :p
"मंजेश! इसका मतलब क्या होता है, मैंने दीवारों पर लिखा देखा था..." :D :D
ऑवर चैटस इन फिजिक्स लैब्स.
( ये दोनों लड़कियां अपना प्रैक्टिकल छोड़-छाड़ के हमारे टेबल के पास बैठ जाया करती थी.. और हमारा क्वेश्चन-आंसर का सेशन शुरू हो जाता था...)
द मोमेंट व्हेन आई सॉ हर होम ऑफ़ छपरा, व्हेन आई वाज इन द रनिंग ट्रेन, व्हाईल शी वाज ओवर द फ़ोन कॉल. द स्माइल ऑन माय फेस, व्हेन आई फाइनली
फाउंड हर होम, एंड हर आंसर- "हां, हाँ, वही वाला है...."
उन दोनों (शिवानी,रिया) का ये कहना कि- ''मंजेश! वी विल मिस योर लाफ..  तेरा ठहाका.."
उन दोनों की छूटती हुई हंसी, जब वो कभी हम लड़कों की ''बोयज़ टॉक'' सुन लिया करती थी. और रिया की हंसी रुकने का नाम ही कहाँ लेती!!
इवन अंकित नेम्ड हर- ''हँसना शुरू..." :D लेकिन, अभी.... वो दोनों रही थी!!
नहीं, मुझे रोना नहीं आया. डोंट क्नो व्हाई.. मेय बी बिकॉज आई एम् मैन. मेय बी बिकॉज आई वाज टफ. ऐसा ही बनाया है हमें उस कमबख्त ऊपर वाले ने.
वी क्नो हाउ टू हाईड आवर इमोसंस्. आई वाज सैड.
"बाय मंजेश! मिलते हैं फिर...", उदास होकर शिवानी बोली. (कह के वो चुप हो गयी.)
(मैं उन ख्यालों से बाहर आया.)
आई नोडेड.
हम लोगों (अंकित, कुनाल, और मैंने) सबसे हाथ मिलाया. और सबको फाइनल वाला अलविदा कहा.
वो लोग जा रहे थे, बाहर कि ओर. हम तीन वहीँ खड़े थे.
उनको जाता देख, अंकित रो पड़ा.
(ये बात तुम चारों को पता नहीं होगी. है न..) हाँ! वो साला रोने लग गया. ही कुड नॉट हाईड हीज इमोसंस्.
इधर कुनाल उसको चिढाने लगा.
"ए...बंड है तू,... जाट्ट गुज्जर...चुप हो जा....तेरी नशें काट दूंगा.."
फिर कुछ देर बाद वो चुप हो गया. अँधेरा होने लगा था. हम अपने स्टेज कि तरफ बढ़े, जहाँ शो शुरू होने वाला था.
भीड़ लगनी शुरू हो गयी थी. लोग बैठने लगे थे, अपने-अपने जगह पर. हम तीनो ने लेफ्ट साइड कि सीट चुनी. सामने की
तो सारी भर चुकी थी. जहाँ से सबसे कूल व्यू मिलता. होता है न, कि हम जो सब चाहते है, जिंदगी में, कहाँ मिलता है..?
शो शुरू होने में टाइम बचा था. उस दिन मैंने पहली बार कुनाल के फैमिली के बारे में जाना. बहुत अच्छी कनवर्सेसन हुई,
हम तीनो के बीच. हम अपने कॉलेज के बीते 3 सालों को याद कर रहे थे. शो शुरू हुआ, कम्पलीट अँधेरा होने पर. इट वाज
अराउंड 7.25. पानी का फवारा निकला चारों तरफ से. फिर उसमें से लाइट निकली. रंग-बिरंगी लाइट.
बहुत कूल एक्सपीरियंस था. कई सारी फीलिंग्स चल रही थी मेरे जहन में, शो के दौरान. लिटिल बिट स्प्रिटूअल टू.
अंकित से बिछड़ने का गम. उस वक्त मेरीआँखों में किनारे तक आंसू आ गए थे. लेकिन नहीं रोया मैं.
बताया तो.. मेय बी बिकॉज आई एम् मैन. मेय बी बिकॉज आई वाज टफ.
शो ख़त्म हो चुका था. इट वाज ऑलमोस्ट 8. हम बाहर कि ओर निकलने लगे.
अगर आप अक्षरधाम जाएँ, तो वो शो जरुर देखिएगा. आई इंसिस्ट.
हम तीनो बस स्टॉप पर पहुंचे. मुझे नॉएडा सेक्टर 62 जाना था, और उन दोनों को फरीदाबाद साइड.
और लास्ट में मैंने और अंकित ने, कुनाल के साथ एक बार फिर मजे लिए.
वो पानी वाला किस्सा..!! याद है तुझे अंकी..?? देट वाज फन.
जाते -जाते हमने हाथ मिलाया.
आई सेड- आई विल मिस यू ड्यूड!
एंड आई ऍम, ट्रस्ट मी.
#MJ_की_कीपैड_से

Sunday, 4 September 2016

दशहरा लाइव 2015- यादों के खिड़की से


#यादों_के_खिड़की_से
#दशहरा_लाइव
#एट_खटीमा
लगभग 3 साल बाद यहाँ खटीमा में दशहरा पर दोबारा हूँ.
पापा ने कहा-"चलो! मेला घुमा लाता हूँ.."
हाथ में पकड़ा सेल फ़ोन नीचे रखा और उनकी तरफ देख के मुस्कुरा पड़ा.
यही कोई 3 या 4 बज रहे होंगे.
हम निकले घर से , फिर बचपन की यादें आँखों के सामने आने लगी .
वो मार्किट की चहल पहल , वो भीड़ ..!!
उसी भीड़ में वो छोटा बच्चा अपने पा की ऊँगली पकड़े आँखों के सामने आने लगा...
पापा "आइसक्रीम..!!" मुस्कुराता हुआ बोला..
पापा उसे देखते हुए मुस्कुरा दिए.. बोले चलो ..!!
अभी थोड़ी देर ही हुई थी की बोला - "पापा आलू-चाट ..!!"
पा बोले " ओके बेटा जी.."
फिर वो 6th स्टैण्डर्ड का बच्चा बोल पड़ा - "पापा चोउमिन प्लीज..!!"
बहुत टेस्टी होता है .. प्लीज पा ..!!
हाँ हाँ ठीक है ..!! खा लो..!!
पा आप भी ट्राय करो न .. आई ऍम श्योर यू विल लाइक इट टू ..!!
नहीं आप खाओ..!!
मैं वो सब सोच ही रहा था .. की बगल में साथ चल रहे पा बोल पड़े
"आज कुछ नहीं खाओगे..??"
मैं हँस पड़ा ..!! बोला नहीं..!! (मुस्कुराते हुए ..!!)
फिर हम रामलीला ग्राउंड पहुचे.. वहां, जहाँ मेरा हाई स्कूल भी है..
डबल स्टोरी बिल्डिंग अंडर कंस्ट्रक्शन में थी..
सब पुरानी बातें आँखों के सामने रिवाइंड होने लगे .!
वो फर्स्ट आना (हाँ और क्या ..!! फर्स्ट भी आया करता कभी..),
वो वर्मा सर का चांटा , वो राम प्रकाश सर का चेहरा , वो गंगवार सर से अनेक्स्पेक्टेड मार खाना.,
मेरे दोस्त कैलाश , संजय , फर्त्याल्स और वो..
तभी पा ने बोला ये लो आ गए .. अभी तो यहाँ कुछ भी भीड़ नहीं है ..
मैं उन यादों से बाहर आता हुआ बोला..
"हाँ अभी कुछ भी नहीं है यहाँ ...!!" और खामोश हो गया मैं ..
की तभी वो खम्बे दिखाई दिए फिर दोबारा मैं वहां चला गया ..
हमारा चोर-पुलिस खेलना , उंच -नीच खेलना , बर्फ-पानी खेलना ..
और खम्बों को देख कर मैं बोला .. पा देखिये इस बार रस्सी भी नहीं लगायी है इन लोगों ने..!! याद है आपको मैं एक बार जब स्कूल से घर आया था ,तो मेरे नाक के ऊपर और आँखों के नीचे निसान पड़े थे ..
वो यहीं की रस्सी से लगे थे ..!!
पा हँस दिए.. बोले- "हाँ याद है..!!"
काफी चोट लगी थी तुझे..!!
फिर वहां से लौटने लगे ..
वो टैटू वाली छोटी लड़की.. वो गुब्बारों का स्टाल.. लेकिन मैं तो अपना सबसे पसंदीदा झूला (roundabout) को ढूंढ रहा था .. लौटते वक़्त दिख गया वो, काफी छोटा था इस बार ..!!
अच्छा था वो वक़्त
पर अब
सब नहीं है
इस वक़्त में ..
#बचपन_की_यादें
(और हाँ..!! वो 6th स्टैण्डर्ड वाला फर्मायसी बच्चा मैं ही था ..))

हैप्पी बर्थडे भुप्पी


यू मस्ट हैव फिगर्ड देट, मंजेश इज श्योर गोना और श्योर विल राईट समथिंग. सो हेयर इट कम्स.
 भाई, करीब दो महीने के बाद लिखने बैठा हूँ, और वो भी किसी दोस्त के बारे में.. पता नहीं क्योँ मन ही नहीं कर रहा था कुछ लिखने का.
डू यू रेमेम्बेर माय लास्ट इयर'स मैसेज फॉर विशिंग यू बर्थडे..? रिलैक्स! अभी तक है पड़ा है मेरे पास सेंट बॉक्स में.
 " Happy b'day! U might be expecting my call, like always.!! I'ld have
dialed u. But a thought came 2 me, u must b busy,as usual while sleeping
with your eyes open. :p" [ I added that emoticon, coz i didn't wanted to sound rude
:D ] "Anyway! u see i didn't had to googled for best belated messages."
[ That was a sarcasm if u didn't noticed. :p ] ahead.. it continued..
"Happy B'day again! May God bless You! Have a great day."
 Sent- 05.09.2015 12.00 AM
और वो पहला बर्थडे था तेरा जिसमें मैंने तुझसे बात नहीं की, सिंस वी आर फ्रेंड. अच्छा तो नहीं लग रहा था, लेकिन खुद को कण्ट्रोल
करना पड़ा, दिखाना भी तो बनता था न कि, 'भई! मैं भी गुस्सा हूँ'. एंड आई ऍम श्योर यू मस्ट हैड मिस्सिड माय कॉल.
 जिनको नहीं पता, उनके लिए , धमेंद्र उर्फ़ भुप्पी :D मेरे से एक क्लास जूनियर था , व्हेन वी वर इन आवर स्कूल, 'राणा प्रताप' . तो पहली बार
मैं वहीँ पे मिला था.  ही वाज इन 7th,वाईल आई वाज इन 8th. शायद तब रिपब्लिक डे कि तैयारियां चल रही थी स्कूल में.
जो बच्चे उनमें पार्टिसिपेट करते, उनको एनुअल फंक्शन में प्राइज दिया जाता. बिग डील..! इज नॉट इट..? तो, तब मैं भी था उनमें से एक.
और भुप्पी भी था. ही वांटेड टू प्रिपयेर सम डूएट डांस ऑन सम पहाड़ी सॉंग. एंड आई वाज आफ्टर स्पीच, हाँ! वो बोरिंग वाले.
तो बात कुछ ऐसी हुई कि इसको  स्कूल में प्रिपयेर/रियाज करने के लिए एक म्यूजिक सिस्टम चाहिए था, जिसपे ये अपने ट्रैक को बजा रियाज करते.
सो, ही केम टू मी, आस्किंग इफ आई हैव एनी म्यूजिक प्लेयर. मेरे पास था तो जरुर घर पर. लेकिन मैंने मना कर दिया. :D
"नहीं, है भाई मेरे पास!!".
तो इसको न म्यूजिक सिस्टम मिला, ना ये रियाज कर पाया और न ये परफॉर्म कर पाया. और न इसको प्राइज मिल पाया. :D
अब आप सोच रहे होंगे, मुझे दे देना चाहिए था. दो बातें थी. पहली, कि मैं उसको इतने अच्छे से नहीं जानता था. और दूसरी, कि
जानता भी नहीं देता. यू सी, आई वाज जस्ट ए किड. दुष्ट वाला.!! :D आई वाज..!! बट नॉट एनीमोर!!
फिर जब हमारी अच्छी दोस्ती हो गयी. तब मैंने इसको ये बात बताई. उसको तो याद भी नहीं था. वो बोला-
"देख! तू बचपन से ही कितना कमीना था..!!"
और इसको तो अब ही याद नहीं है. ही वाज यूज्ड टू मेक माय नेम्स. तो उसकी भी खुन्नस थी तब. :D
एंड फॉर योर काइंड इनफार्मेशन, उस साल एनुअल फंक्शन नहीं हुआ. सो देट मीन्स, जिसने  पार्टिसिपेट किया था, उनको प्राइज नहीं मिला.
यानी मुझे प्राइज नहीं मिला.  :'-(
फिर जब मैं इसके घर के पास शिफ्ट हुआ 2009 में. देन आई वाज इन 9th स्टैण्डर्ड. पास के ही एक स्कूल ग्राउंड में बच्चे खेला करते थे..
 और फिर हमारी वहां मुलाक़ात हुई.. और वहां भी उसने बांकी बच्चों को बता दिया कि इस बन्दे को इस नाम से चिढ़ा.
देयर वर टू मैनी. कितनों से लड़ता मैं. घर चला आया. आई स्टार्ट हेटिंग हीम. रियल बैड.
 फिर शायद हम किसी साइंस फेयर में मिले. वी वर रिप्रीजेंटिंग सेम स्कूल्स. ही वाज इन जूनियर लेवल. एंड आई वाज सीनियर लेवल.
सो ही केम अप टू मी, आस्किंग फॉर सम हेल्प. एंड आई हेल्पड हीम.
 एज फार एज आई रेमेम्बेर, आई वाज इन हाईस्कूल.
(मुझे भी ठीक से याद नहीं भुप्पी! हमारी बातें कैसे शुरू हुई उसके बाद..)
 फिर जहाँ से यहाँ याद है, वहां से.... :p :D
ये मुझे 'नीकू भैया' कह के बुलाने लगा. जाहिर सी बात है, बाय देट टाइम, वी वर फ्रेंड्स. हम साथ में इन्टरनेट कैफ़े जाते. ऑरकुट चलाते.
10रु वो देता और 10रु मैं. :D कितना सही था वो न टाइम, जब हमें सन्डे का बेसब्री से इंतज़ार करते थे कैफ़े जाने के लिए.
मोस्टली हर शाम को ये मेरे घर आता, बुलाता... "नीकू भैया...??".
और मैं भी कभी-कभी इसके घर चला जाता, जब मुझे कुछ कंप्यूटर से रिलेटेड काम पड़ता लाइक - अप्लोडिंग्स मेमोरी कार्ड्स.
हम दोनों अक्सर मेरे घर के टेरेस पे जाते. गप्प मारते. कभी इधर की. कभी उधर की.
हमारे बीच तब कुछ भी कॉमन नहीं था. फॉर एक्जाम्प्ल-
आई लव टू वाच मूवीज... ही डज नॉट.
आई लव टू वाच क्रिकेट एंड चैट/टॉक अबाउट इट... ही डज नॉट.
आई लव टू क्नो अबाउट न्यू टेक्नोलॉजी.. ही डज नॉट केयर.
वी नीदर यूज्ड टू टॉक अबाउट गर्ल.. एंड नाउ यू कैन गेस व्हाई.. येह! ही डज नॉट लाइक टू टॉक अबाउट इट.
मैं जब भी इनमें से किसी कि बात शुरू करता, थोड़े ही देर में बोर हो कर कहता -
"छी: किसी और टॉपिक पे बात करते हैं.." :D
हाँ,!! #बटर_स्कॉच_फ्लेवर्ड आइस-क्रीम वाज द फर्स्ट थिंग, जो दोनों को पसंद आई.. स्ट्रेंज.. इज नॉट इट..?
मैं कभी-कभी सोचता हूँ, जब हमारे पास बात करने को कुछ था ही नहीं, फिर भी हमारी दोस्ती कैसी टिकी है.
कवि रहीम कि पंक्तियां थी कुछ ऐसी कि-
 "रहिमन धागा प्रेम का,
मत तोरो चटकाय.
टूटे पे फिर न जुरे,
जुरे गाँठ परी जाए."
 मैं कहता हूँ कवि रहिम से- ड्यूड, यू शुड थिंक अबाउट इट अगेन. :p अपडेट इट..!! :D
हमारी दोस्ती में भी एक रफ़ फेज आया. जब ये मेडिकल की कोचिंग करने कोटा 'दोबारा' गया.
आई वाज स्टिल इन दिल्ली डूइंग ग्रेजुएशन. पहले साल के स्टार्टिंग में महीने-दो महीने में हमारी बात हो जायी करती थी.
ही आल्सो यूज्ड टू टोल्ड मी अबाउट हीज रैंकिंग्स इन क्लास एंड मार्क्स ऑफ़ हीज वीकली टेस्ट. ही वाज डूइंग प्रीटी गुड देयर!
सब ठीक चल रहा था, अंटिल फ्यू लेफ्ट मंथ्स ऑफ़ कोटा. आई थिंक ही काइंडा वेंट इन डिप्रेशन.
आई मेय नॉट बी करेक्ट हेयर भुप्पी.! ही स्टार्टेड इग्नोरिंग माय फोन कॉल्स. कहता "सोया था यार.."
और बदले में मैंने भी वही किया. फिर कुछ दिनों बाद जब मैं दिल्ली से खटीमा शिफ्ट हो गया.
हमारी बात बिल्कुल बंद थी, यहाँ तक एक दुसरे के फेसबुक के पोस्ट को भी हम लोग इग्नोर करने लगे.
मैंने सोचा की इसके इस बिहेवियर का पॉसिबल रीजन क्या हो सकता है. और मुझे समझ में भी आ गया.
फिर एक दिन फेसबुक पर बंदा ऑनलाइन मिला.
आई सेड- 'कहाँ है आजकल' (दो आई न्यू ही वाज इन खटीमा.) :p
आई टोल्ड हीम.. नाउ आई क्नो ..
"ड्यूड, मैंने भी कोई तोप नहीं मार लिया है लाइफ में. आई एम् आल्सो अ लूज़र.
सो, आई हेव नो राइट्स टू आस्क यू एनी क्वेश्चन. आई स्टिल नीड टू प्रूव माइसेल्फ.
आई अंडरस्टैंड योर सिचुएशन. बिलीव मी!! सो, यू डोंट हेव टू इग्नोर मी. वैसे ही अब कम दोस्त हैं अभी
मेरे खटीमा में, जिसके साथ आइ कैन हंग आउट! आई ऍम श्योर तेरे पास भी ज्यादा आप्शन नहीं बचा है इस मामले में." :D
तो उस कन्वर्सेशन के बाद, वी अगेन स्टार्टेड टू हैंग आउट टोगदर. इवन और मजे आते थे, एज वी स्टार्टेड टू हेव बटर स्कॉच आइसक्रीम.
अब हमारे पास कुछ एक सा टॉपिक था बात करने को- 'आइसक्रीम' :p
आज कल इन्होंने एक नया पेट् पाला है. डॉगी है! लेब्रोडोर है! जनाब उसी में व्यस्त रहते हैं. घर से निकलने का वक़्त कहाँ..?
लास्ट टाइम जब ये मेरे घर आया था, यही कोई 3 महीने पहले. #बिजी_बॉय! और यही ताने मारा करता था मैं,
जब सब ठीक नहीं था हमारे बीच. इन्हीं कि स्कूटी को मैंने पहली बार चलाया. थैंक्स भाई! उस दिन स्कूटी देने के लिए. :D
टनकपुर से खटीमा तक मैं ही चलाता आया. मैंने पुछा बाद में इससे - "कैसा, चलाया मैंने?"
बोला- "टेर्रेबल". येह! आई नो..!! देट कुड हेव आवर लास्ट राइड ऑफ़ लाइफ..!! :D
अगर मैं अपने दोस्तों कि बात करू तो मेरे पास बेस्ट फ्रेंड्स, गुड फ्रेंड्स भी है, बस कमी है एक 4 a.m.
ये अभी तक मेरी उस कमी को पूरा नहीं कर पाया है, मैं आज भी अगर इसे कॉल करता हूँ तो शायद ही कोई दिन हो जब
ये पहली बारी में रिसीव कर लेता है.
और आजकल मैं इसको दोबारा मोर्निंग वाक पे चलने को कन्विंस कर रहा हूँ. सुबह उठता ही नहीं ये बंदा..!!
मान ले यारा!! चलते हैं दोबारा!! :)
मेय गॉड ब्लेस यू!! हैप्पी बर्थडे अगेन!! आई रियली वांट यू टू डू ग्रेट इन योर लाइफ!