रास्ता पता है मगर..मंजिल से अनजान हूँ

रास्ता पता है मगर..मंजिल से अनजान हूँ

Friday, 20 November 2015

लप्रेक- प्यार का झूला

#लप्रेक
#प्यार_का_झूला
सुमित ने अर्जुन को झूले की लाइन में खड़ा कर टिकट लेने चला गया.
यहाँ अर्जुन उस हजारों की भीड़ में ,पता नहीं किसकी तलाश कर रहा था.
कोई अनजान सा चेहरा जो जाना पहचाना लगे..
लाइन में खड़े हो कर उसने 360 डिग्री में अपना सर धीरे धीरे घुमाया.
कोई मिली ..??
सुमित ने आते ही अर्जुन से पूछ लिया..
दोनों हँस पड़े..
कहाँ यार..!! कोई नि मिली अब तक, न कोई दिखी.
अर्जुन ने नोटिस किया की उसके आगे कोई लड़की खड़ी है.
हाइट एवरेज लड़कियों से या उसके उम्र के लड़कियों से थोड़ी कम थी,
या ये कह लीजिये, अर्जुन से तो कम ही थी.
तो उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया उसपे..
वो सब अपनी लाइन में अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे.
धीरे धीरे जब नंबर आने ही वाला था की,
उसने आगे खड़ी लड़की का चेहरा दिखा.
करीब 3 सेकंड तक उसके चेहरे को एकटक देखता रहा .
(वैसे मैं आपको बता दूं की 3 सेकंड काफी होता है...)
इस बीच लड़की ने भी अर्जुन को देखा. थोड़ी झिझक गयी वो.
 चेहरा कुछ जाना पहचाना लगने लगा..
अरे! ये तो गोपाल है..
हँसते हुए अर्जुन ने सुमित को धीरे से बताया.
कौन गोपाल..?? (उसने पुछा)
ही डजन'ट हेव एनी आईडिया अबाउट देट.
झूला नीचे आया , पुराने लोग नीचे उतरे.
अर्जुन थॉट- आई शुड नॉट इनीसिएट.
मैं चेप नहीं दिखना चाहता उसकी नज़रों में.
और वैसे भी, वो (अर्जुन और सुमित) दो लोग थे.
सो उन्होने एक वेक्न्ट यानी खाली कम्पार्टमेंट चुना.
अर्जुन ने धीरे से सुमित से कहा-,
"साथ में नहीं सामने बैठ."
वो मुंह बना के बैठा और सामने से आवाज़ आई- हरामखोर! कमीने!
अर्जुन ने आँख मार के उसे थैंक्स कहा.
दोस्त हमें समझते हैं, जानते हैं हमारी आदतों को.. तभी तो.. वी लव देम.
अब वो इंतज़ार कर रहा था, की मेरी बगल वाली सीट पर वो मोतरमा आ कर बैठे..
तो...???
वो आई ....!!!!!
हाँ, वो आई उसने पुछा - मेय आई..??
ओह! श्योर..!!! प्लीज...!!
अर्जुन अपना चेहरा दूसरी तरफ कर मुस्कुराने लगा.
हे! तुम्हे डर नहीं लगता ऊंचाई से..??
अगर लगता, तो नहीं चढ़ती.!
ओके! ब्रेव गर्ल हाँ...??
एंड देन शी पास्ड ए स्माइल.
सफ़ेद सूट-सलवार के ऊपर हल्के हरे रंग का स्वेटर पहना था उसने.
वो छुपाने की कोशिश कर रही थी.
लेकिन पैरों में स्लीपर पहने, मीरा के स्वेटर के छेद पर अर्जुन की नज़र चली गयी थी.
हाँ, यही नाम था उसका. "मीरा" .
अर्जुन ने अपनी नज़र हटा ली, उसके झुकते नज़रों को देख.
सो हाउ इज गोपाल हां..??
ठीक ही होगा.
"होगा" मतलब..?? ("होगा" पे ज्यादा जोर देते हुए.)
यू गाइज आर नॉट सीइंग इच अदर..?
नोप. (कह के चुप हो गयी..)
उसके दोनों आँखों के काजल हल्के बिखरे हुए लग रहे थे.
थोड़ी गुमसुम नज़र आ रही थी.
अर्जुन को याद आने लगा, वो सब..
कैसे  4 साल पहले एक ट्यूशन क्लासेज में एक दुसरे से उनकी मुलाकात हुई थी.
वेयर अर्जुन वाज गुड एट हिज स्टडीज. वहीँ मीरा क्लास की सबसे खुबसूरत लड़की.
दे यूज़ड टू एन्जॉय इच अदर कंपनी.
अर्जुन यूज़ड टू फ़्लर्टस विथ हर. और मीरा भी उसके पिकअप लाइन्स की दीवानी थी.
उसे याद आ रही था वो शाम, जब वो दोनों कोचिंग के सामने वाले पार्क में बैठे थे..
नार्मल बातें चल रही थी और अचानक मीरा बोल पड़ी,
आई डोंट क्नो अगर मेरी लाइफ में गोपाल नहीं होता तो, मैं और तू...
कह कर चुप हो गयी .
अर्जुन का मीरा को गोपाल - गोपाल कह के चिढ़ाना याद आ रहा था.
वो ये सब सोच के धीरे से मुस्कुराने लगा.
यहाँ झूले पर उसके किनारे बैठी, मीरा ने उससे पुछा..
क्या हो गया तुम्हे..?? तुम हँस क्यू रहे हो..??
झूला अब चलने ही वाला था.
धीरे-धीरे उसकी स्पीड बढ़ रही थी.
मीरा! मेरे पेट में गुदगुदी हो रही है..!!
अर्जुन, मीरा के कान के पास जा कर बोला.
और दोनों साथ हँस पड़े.
मीरा उसे ऐसे देखने लगी, जैसे कह रही हो..
अर्जुन! तुम अब भी नहीं बदले..!!!
ज्यों ज्यों स्पीड बढ़ रही थी ,अर्जुन स्टार्टेड एन्ज्योइन्ग.
व्हेरेएज मीरा, उसको डर लग रहा था.
मीरा अर्जुन का हाथ पकड़ना चाहती थी.
आखिर वही तो था उस घूमते हुए दुनिया में एक पहचाना ,परखा चेहरा.
मुझे अपना हाथ दो.. (मीरा बोली)
झूले में सब लोग चिल्ला रहे थे , शोर इत्ता ज्यादा था की
पास में बैठा अर्जुन को भी नहीं आया समझ.
क्या...???
बिन कुछ कहे मीरा ने अर्जुन का हाथ पकड़ लिया. टाइट से.
तुम तो कह रही थी , तुम्हें डर नहीं लगता.. (अर्जुन चिल्ला के उसके कानों के पास बोला..)
"झूठ बोल रही थी..." (मीरा ने जोर से हँसते हुए उसके कानों में कहा)
दोनों साथ हँसने लगे.
तुम कब से झूठ बोलने लगी..?? हाँ ..??
तुम्हारे जाने के बाद..
जवाब देने के लिए मीरा भी अर्जुन के थोड़ा पास गयी. और एक सडन झटका झूले में आया.
और अर्जुन की तरफ झुकी मीरा, खुद को संभाल नहीं पायी और...
मीरा के होठ और अर्जुन के गाल. इट वाज जस्ट अ पेक. हल्का सा.
अर्जुन हल्के से हंस पड़ा. दोनों संभले.
थोड़ी हिचकिचाहट थी, मीरा के मन में. थोडा गिल्ट. और थोड़ी खुशी..
मीरा ने महसूस किया की अर्जुन ने उसका हाथ और कश के पकड़ लिया.
वो दोनों चिल्ला रहे थे. एक्साइटमेंट के मारे, ख़ुशी के मारे.
कहते है न अच्छे वक़्त की भी एक बुरी बात होती है.
वो ये की, "ये भी बीत जाता है."
तो झूला रुक गया. और उन दोनों के एक हाथ, अब अलग हो गए.
वो झूले की स्टेयर से नीचे उतरने लगे.
तभी अर्जुन को महसूस हुआ की किसी ने उसके हाथ को थामा.
उसने पीछे मुड़ के देखा.
ये वही थी- "मीरा"
अर्जुन उसे देख मुस्कुराया.
उसकी नज़रें सामने हुई और एक लम्बी मुस्कान के साथ वो चल पड़ा....
और अब दोनों के हाथ एक साथ थे.
आज उसे प्यार का सही मतलब समझ में आ गया..
" #To_Let_Go "
 :- #MJ_की_कीपैड_से




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