(इस पत्र के सभी पात्र काल्पनिक है, इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है..)
प्रिय रागिनी,
मुझे अब तुम्हे "प्रिय" कहने का अधिकार भी नहीं है शायद. मैं बहुत अच्छा हूँ ,हँसता हूँ और हाँ, खुश भी हूँ. कैसी हो तुम? आशा करता हूँ तुम भी अपनी दुनिया में खुश होगी. वो दुनिया जिसका हिस्सा अब मैं नहीं रहा. मुझे याद है, की तुम कहा करती थी की मैं, तुम्हारे बिन हमेशा अधूरी रहूंगी. आशा करता हूँ की उस अधूरे जगह की अब भरपाई हो गयी होगी. कोई मिल ही गया होगा जो मुझसे भी ज्यादा समझदार हो. जो मुझसे भी ज्यादा तुम्हे समझने की कोशिश करता हो. तुम्हें बता दूं , क्यूंकि मुझे पता है की तुम्हारे मन में क्या चल रहा होगा..! मेरा स्टेटस जरा कोम्प्लिकेटेड है फिलहाल तो अभी. ऐसा बिल्कुल मत सोचना की तुम्हारे बाद मेरा कोई हो न सका. लेकिन, हाँ, तुम्हारे बाद कोई रिलेशनशिप मेरी ज्यादा सक्सेस नहीं हुई. फिर बाद में मैंने रिएलाईज किया की पापा के पैसे पर कब तक मौज करूँगा, कुछ शौक मैंने खुद के पैसे के लिए बचा के रखे है. हाँ बिल्कुल, तुम इसे सेल्फ रिस्पेक्ट से भी जोड़ सकती हो. या इसपे तुम भले मुझे अब बेहतर या समझदार इंसान के तौर पे देख सकती हो. हाँ, अब मैं चीजों को दोनों पहलूओं से समझने लगा हूँ. मैं जानता हूँ, काफी गलत किया मैंने तुम्हारे फीलिंग्स के साथ. मैंने जो कुछ भी किया मुझे नहीं करना चाहिए था. लेकिन करता तो करता क्या ? हूँ तो आखिर मर्द जात का. तो मेरी सोच,मेरी समझ भी वैसी ही थी. न जाने कितने सवाल
दागे होंगे मैंने? न जाने कितनी बार शक की शुई तुम पर बरसाई होगी. ना जाने कितनी बार तुमसे लड़ाई हुई. ना जाने कितनी बार मुझको, तुम्हें मनना पड़ा होगा. न जाने कितने बार तुम्हारे आँखे नम हुई होगी. न जाने..
और इसमें गलती तुम्हारी भी थी, क्या तुम ये नहीं कह सकती थी की , "अनिरुद्ध, दोज आर माय पास्ट एंड यू आर माय प्रेजेंट". तब नहीं थी समझ, मुझे की- "एवरीवन हेज ए पास्ट" और अगर एक 10th स्टैण्डर्ड के बच्चे से इस समझ की तुम उम्मीद कर रही थी, तो मैं बता दूं, की तुम गलत थी. मैं थोड़ा कच्चा था इन प्यार के मामलों में. हालांकि मेरे अफेयर तुमसे पहले भी हुए थे, लेकिन वो तुम ही पहली थी जिससे ये कुछ महीनों
तक नहीं बल्कि लगभग 549 दिनों तक चला. और जहाँ तक मेरे रोने की बात है, इफ यू रेमेम्बेर जब हमारे 10th के एक्साम्स स्टार्ट होने वाले थे, जब मेरे कहने पर ही हमने फ़ोन पर बात न करने का डिसिजन लिया था. तो जब एक्साम्स ओवर होने पर मैंने घर वालों से अपना फ़ोन माँगा , जो इतने दिनों तक बिना तुम्हारे
मैसेज के बीप और बिना किसी कॉल की टोन से खामोश अलमारी में बंद था. पूरा घर सूना - सूना लग रहा था. और जब मैंने फ़ोन वापस माँगा, तो मुझे जवाब "ना" में मिला. मैं उदास हो गया. बहुत रोया , फिर 2 दिन बाद मुझे तुम्हारी आवाज़ सुनने का मौका मिला. काश तू मेरी कमजोरी नहीं बल्कि मेरी स्ट्रेंथ बन के सामने आती. यू नेवर ट्राइड टू मोटीवेट मी टुवर्ड्स माय स्टडी. यू क्नो लाइक ए गुड गर्लफ्रेंड. तभी तेरे जाने का ज्यादा गम नहीं था. तुझे देख के मैं अक्सर खुद से पुछा करता था - "इज शी इज द वन..??"
यू क्नो व्हाट वाज द बेस्ट अबाउट यू, बिल्कुल नखरें नहीं थे तेरे. की एंडी, वहां ले चलो. एंडी,ये दिला दो. एंडी,वो चाहिए एंड आल. कोई खर्चा नहीं करवाती थी तू, इवन डेली फ़ोन कॉल करने का जिम्मा भी तूने अपने सर ले रखा था..एक लड़के को और क्या चाहिए इसके सिवा....
मैं तुम्हें कभी नहीं बता सका, कि मेरा "वो" जो तुम्हारे लिए था, वो "प्यार" नहीं था. हाँ, तुमने सही पढ़ा, वो प्यार तो नहीं था. वो क्या था इसका जवाब मुझे अभी तक नहीं मिल पाया है, न मैं अभी तक दूंढ़ पाया हूँ, वेदर इट्स क्रश, अट्रैक्शन और लस्ट. लेकिन हाँ, तुझसे जुड़ाव जरुर लगने लगा था. तेरा साथ, मुझे अच्छा लगने लगा था. जब तेरे साथ रहता था, लगता था जैसे दुनिया में कुछ भी तुमसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट नहीं है.
तेरा साथ, हमेशा मुझे स्पेशल फील कराता था. तेरा वो एक SMS,आई स्टिल रेमेम्बेर - "इंसान कितना ही आम क्यों न हो,किसी न किसी के लिए ख़ास होता है" . और मैं..?? मैं,अपने दोस्तों के सामने तुम्हें टाइमपास से ज्यादा कभी न मान पाया. हाँ, ये सच है.मुझे माफ़ करना. आई रियली रियली फील सॉरी फॉर सेयिंग देट. बट देट वाज ट्रुथ.तुम्हें पता है.? मेरा सबसे हसीं पल तुम्हारे साथ कौन सा था.? ये तब भी नहीं था व्हेन वी वेंट ऑन फर्स्ट डेट, और तब भी नहीं व्हेन यू केम टू माय प्लेस एंड वी टॉकड फॉर हावर्स, नाइदर व्हेन यू एक्सेप्टेड माय प्रपोजल, नाइदर व्हेन वी हेड आवर फर्स्ट किस..
बस कुछ क़दमों का साथ था वो,
हाथों में तेरा हाथ जो
ऐसा पल,
हसीं था वो.
यू सी? मैं भी अब पोएट्री करने लगा हूँ. हाँ, वक़्त ने किया कुछ हसीं सितम. :)
अगर तुम्हे याद हो, की 8th स्टैण्डर्ड से मेरा एक दोस्त तुम्हें पसंद करता था, तो बस उसको जलाने के लिए,
आई स्टार्टेड हिटिंग ऑन यू. फिर पता नहीं चला कब, आई एक्चुअली स्टार्टेड हेविंग फीलिंग फॉर यू.
शुरू में मुझे पता चला था, या ये कह लो दोस्तों ने मुझे सुनी सुनाई बातें बताई, की तुम्हारे पहले भी कई अफेयर रह चुके हैं. लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है, ये तो मैं अब भी नहीं कह सकता. खैर ये तुम ही जानो.
ये सब जानते हुए भी जब मैंने इस रिलेशनशिप के लिए मैंने खुद को हामी दी, देन क्वेश्चनिंग अबाउट योर पास्ट वाज जस्ट स्टूपिडिटी. दैट्स नॉट द थिंग व्हिच आई शुड बी प्राउड ऑफ़. एनीवे थैंक्स, कॉज यू एक्सेप्टेड माय प्रपोजल. मैं तो उस वक़्त बस सातवें आसमान में उड़ रहा था. क्लास की सबसे प्रीटी एंड मोस्ट फेंटेसाइज्ड गर्ल मेरी गर्लफ्रेंड. Oh my gosh!! आई कांट सेय अबाउट यू. फिर जैसे जैसे वक़्त बीतता गया, वैसे वैसे हमारी लड़ाईयां भी बढती चली गयी. और फिर एक वक़्त ऐसा आया जब मुझे लगा कि "आई कांट टेक दिस एनीमोर" , एंड देन आई डिसाइडेड टू ब्रोकअप. मैं खुश था की थैंक गॉड आई वाज द वन हु ब्रोकअप, नॉट शी. हाउ सिली आई वाज !! बचपना आई गेस!! एंड देट वो ब्रोकअप मैसेज, वो 8 पेज का SMS,आई वुड लाइक टू सेय वन वर्ड - "सॉरी". बहुत कुछ कह गया था उस दिन, जो मुझे नहीं कहना चाहिए था. सालों की भड़ास निकाल ली थी उस दिन. सॉरी रियली आई ऍम...
यू रेमेम्बेर, देट वेरी ईयर, इन व्हिच वी ब्रोकप. आई हेड गोन टू माय विलेज फॉर कपल ऑफ़ डेज. सपेसिअल्ली फॉर अटेंडडिंग ए मैरिज सेरेमनी. आई मस्ट हैव टोल्ड यू, हैवन्ट आई..?? लेकिन जो मैंने तुम्हे नहीं बताया वो ये की -देयर आई मेट समवन..!! वी अत्त्रक्टेड टुवर्ड्स ईच अदर. एंड वी मेड आउट....
ऐसा नहीं है की उस वक़्त मुझे तुम्हारा ख्याल नहीं आया. पर कुछ चीज़ें होती है न जिसका आप पर बस नहीं चलता. वो एहसास कुछ ऐसा ही था. कई बार सोचा की तुम्हे बता दूं, लेकिन नहीं बता पाया... बस नहीं बता पाया..
बहुत कर ली बुराई तुम्हारी. है न.? नहीं, इत्ती भी बुरी नहीं थी तुम. कुछ तो अच्छा देखा होगा न तुम में, मैंने. कभी नहीं तुम्हारी तारीफ़ करी. पता नहीं क्यों ? तभी तो आज तुम्हें लिखने बैठा हूँ.. वो बातें, जो मैं कभी ना कह सका.. योर आईज. येह! इट वाज द बेस्ट फीचर इन यू. कितना कुछ कह जाती थी तुम आँखों आँखों में. हाँ, लेकिन मुझे इसमें भी एक शिकायत है, मैं जब तुमसे नज़रें मिलाता तुम अपनी नज़रें क्यू झुका लेती थी? और वो आँखों की चमक देखने के लिए कितना बेताब रहता था मैं, जब तुम हंसा करता थी. यू वोंट बिलीव, आई वाज सीइंग ए गर्ल इन दिल्ली एंड जब मैंने उसको हँसाया, देन वेरी टाइम आई नोटिसड हर आईज, जो हँसते हँसते बंद हो चुकी थी. :p इट वाज होरिबल. एंड देट वाज द लास्ट डे जब मैं मिला उससे. :D :D
और हाँ, तुम्हारे बाल काफी अच्छे लगते थे मुझे, जब तुम कभी पोनी टेल बना के सामने आती थी. मैंने शायद ये तुम्हें बताया भी था , काफी अच्छा लगा था जब अगले दिन यू ट्राइड सेम. थैंक्स फॉर केयरिंग माय फीलिंग्स. इफ यू रेमेम्बेर, वो बारिश में जब तुम मेरी गली में आई थी मिलने, तुम्हारे भींगे बाल को मैंने नोटिस किया, आई नेवर टोल्ड यू - यू वाज
लूकिंग एक्सट्रीमली हॉट .फायर.! पटाखा! आई ऍम सॉरी फॉर देट लैंग्वेज..
और.. डू आई स्टिल मिस यू..?? अगर तुम ये मुझसे पूछो. तो मैं, तुम्हारे आँखों में आंखें डाल कह सकता हूँ बिना हिचक के - "नहीं". कॉमर्स में भले हमेशा तुम्हें कम मार्क्स आते थे, लेकिन आँखों को अच्छे से पढना तुम खूब जानती थी. ये जानते हुए भी मैं कहता- "आई डोंट मिस यू एनीमोर". मुझे पता है हर बार की तरह, इस बार भी तुम मेरी चोरी पकड़ लेती. कमाल करती हो!! येस! आई डू मिस यू, समटाइम्स.. सिर्फ अच्छी यादों के तौर पे तुझे याद रखना चाहता हूँ. कितनी सारी करवाहट थी हमारे बीच जब हम साथ थे, अब लगता है जैसे सब ठीक है. तो इसे ठीक ही रहने देते हैं. ठीक है...??? और..
और क्या कहूँ, तू कहा करती थी ना की अब तुम बदल गए हो. कितना ताना मारा करती थी तुम तब. और फिर जब मैंने स्कूल चेंज किया, तब तुम्हारे पास एक बहाना भी था. तब मैं, बदला तो नहीं था. बदलना जरुर चाहता था. लेकिन कोई ऐसा मिला नहीं जिसके लिए मुझे बदलने की जरुरत महसूस होती. लेकिन हाँ, अब जरुर बदल गया , "लेकिन ये बदलाव तुम्हारे लिए नहीं".इंतज़ार है मुझे उसका जिसके लिए मैं कह सकूँ , विथआउट हैविंग सेकंड थॉट - "शी इज द वन"
अक्सर लोग कहा करते हैं की दो अच्छे दोस्त,अच्छे प्रेमी बन सकतें हैं. लेकिन अगर तुम इसे पढ़ रही हो, अभी तक , तो., लेट्स बी फ्रेंड्स..नॉट लाइक फ्रेंड्स विथ बेनिफिट्स.. बस अच्छे दोस्त.. क्या ख्याल है तुम्हारा.. हें..?? बाकी जो है सो तो हैइए ही..
:- अनिरुद्ध
बस अनिरुद्ध......
प्रिय रागिनी,
मुझे अब तुम्हे "प्रिय" कहने का अधिकार भी नहीं है शायद. मैं बहुत अच्छा हूँ ,हँसता हूँ और हाँ, खुश भी हूँ. कैसी हो तुम? आशा करता हूँ तुम भी अपनी दुनिया में खुश होगी. वो दुनिया जिसका हिस्सा अब मैं नहीं रहा. मुझे याद है, की तुम कहा करती थी की मैं, तुम्हारे बिन हमेशा अधूरी रहूंगी. आशा करता हूँ की उस अधूरे जगह की अब भरपाई हो गयी होगी. कोई मिल ही गया होगा जो मुझसे भी ज्यादा समझदार हो. जो मुझसे भी ज्यादा तुम्हे समझने की कोशिश करता हो. तुम्हें बता दूं , क्यूंकि मुझे पता है की तुम्हारे मन में क्या चल रहा होगा..! मेरा स्टेटस जरा कोम्प्लिकेटेड है फिलहाल तो अभी. ऐसा बिल्कुल मत सोचना की तुम्हारे बाद मेरा कोई हो न सका. लेकिन, हाँ, तुम्हारे बाद कोई रिलेशनशिप मेरी ज्यादा सक्सेस नहीं हुई. फिर बाद में मैंने रिएलाईज किया की पापा के पैसे पर कब तक मौज करूँगा, कुछ शौक मैंने खुद के पैसे के लिए बचा के रखे है. हाँ बिल्कुल, तुम इसे सेल्फ रिस्पेक्ट से भी जोड़ सकती हो. या इसपे तुम भले मुझे अब बेहतर या समझदार इंसान के तौर पे देख सकती हो. हाँ, अब मैं चीजों को दोनों पहलूओं से समझने लगा हूँ. मैं जानता हूँ, काफी गलत किया मैंने तुम्हारे फीलिंग्स के साथ. मैंने जो कुछ भी किया मुझे नहीं करना चाहिए था. लेकिन करता तो करता क्या ? हूँ तो आखिर मर्द जात का. तो मेरी सोच,मेरी समझ भी वैसी ही थी. न जाने कितने सवाल
दागे होंगे मैंने? न जाने कितनी बार शक की शुई तुम पर बरसाई होगी. ना जाने कितनी बार तुमसे लड़ाई हुई. ना जाने कितनी बार मुझको, तुम्हें मनना पड़ा होगा. न जाने कितने बार तुम्हारे आँखे नम हुई होगी. न जाने..
और इसमें गलती तुम्हारी भी थी, क्या तुम ये नहीं कह सकती थी की , "अनिरुद्ध, दोज आर माय पास्ट एंड यू आर माय प्रेजेंट". तब नहीं थी समझ, मुझे की- "एवरीवन हेज ए पास्ट" और अगर एक 10th स्टैण्डर्ड के बच्चे से इस समझ की तुम उम्मीद कर रही थी, तो मैं बता दूं, की तुम गलत थी. मैं थोड़ा कच्चा था इन प्यार के मामलों में. हालांकि मेरे अफेयर तुमसे पहले भी हुए थे, लेकिन वो तुम ही पहली थी जिससे ये कुछ महीनों
तक नहीं बल्कि लगभग 549 दिनों तक चला. और जहाँ तक मेरे रोने की बात है, इफ यू रेमेम्बेर जब हमारे 10th के एक्साम्स स्टार्ट होने वाले थे, जब मेरे कहने पर ही हमने फ़ोन पर बात न करने का डिसिजन लिया था. तो जब एक्साम्स ओवर होने पर मैंने घर वालों से अपना फ़ोन माँगा , जो इतने दिनों तक बिना तुम्हारे
मैसेज के बीप और बिना किसी कॉल की टोन से खामोश अलमारी में बंद था. पूरा घर सूना - सूना लग रहा था. और जब मैंने फ़ोन वापस माँगा, तो मुझे जवाब "ना" में मिला. मैं उदास हो गया. बहुत रोया , फिर 2 दिन बाद मुझे तुम्हारी आवाज़ सुनने का मौका मिला. काश तू मेरी कमजोरी नहीं बल्कि मेरी स्ट्रेंथ बन के सामने आती. यू नेवर ट्राइड टू मोटीवेट मी टुवर्ड्स माय स्टडी. यू क्नो लाइक ए गुड गर्लफ्रेंड. तभी तेरे जाने का ज्यादा गम नहीं था. तुझे देख के मैं अक्सर खुद से पुछा करता था - "इज शी इज द वन..??"
यू क्नो व्हाट वाज द बेस्ट अबाउट यू, बिल्कुल नखरें नहीं थे तेरे. की एंडी, वहां ले चलो. एंडी,ये दिला दो. एंडी,वो चाहिए एंड आल. कोई खर्चा नहीं करवाती थी तू, इवन डेली फ़ोन कॉल करने का जिम्मा भी तूने अपने सर ले रखा था..एक लड़के को और क्या चाहिए इसके सिवा....
मैं तुम्हें कभी नहीं बता सका, कि मेरा "वो" जो तुम्हारे लिए था, वो "प्यार" नहीं था. हाँ, तुमने सही पढ़ा, वो प्यार तो नहीं था. वो क्या था इसका जवाब मुझे अभी तक नहीं मिल पाया है, न मैं अभी तक दूंढ़ पाया हूँ, वेदर इट्स क्रश, अट्रैक्शन और लस्ट. लेकिन हाँ, तुझसे जुड़ाव जरुर लगने लगा था. तेरा साथ, मुझे अच्छा लगने लगा था. जब तेरे साथ रहता था, लगता था जैसे दुनिया में कुछ भी तुमसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट नहीं है.
तेरा साथ, हमेशा मुझे स्पेशल फील कराता था. तेरा वो एक SMS,आई स्टिल रेमेम्बेर - "इंसान कितना ही आम क्यों न हो,किसी न किसी के लिए ख़ास होता है" . और मैं..?? मैं,अपने दोस्तों के सामने तुम्हें टाइमपास से ज्यादा कभी न मान पाया. हाँ, ये सच है.मुझे माफ़ करना. आई रियली रियली फील सॉरी फॉर सेयिंग देट. बट देट वाज ट्रुथ.तुम्हें पता है.? मेरा सबसे हसीं पल तुम्हारे साथ कौन सा था.? ये तब भी नहीं था व्हेन वी वेंट ऑन फर्स्ट डेट, और तब भी नहीं व्हेन यू केम टू माय प्लेस एंड वी टॉकड फॉर हावर्स, नाइदर व्हेन यू एक्सेप्टेड माय प्रपोजल, नाइदर व्हेन वी हेड आवर फर्स्ट किस..
बस कुछ क़दमों का साथ था वो,
हाथों में तेरा हाथ जो
ऐसा पल,
हसीं था वो.
यू सी? मैं भी अब पोएट्री करने लगा हूँ. हाँ, वक़्त ने किया कुछ हसीं सितम. :)
अगर तुम्हे याद हो, की 8th स्टैण्डर्ड से मेरा एक दोस्त तुम्हें पसंद करता था, तो बस उसको जलाने के लिए,
आई स्टार्टेड हिटिंग ऑन यू. फिर पता नहीं चला कब, आई एक्चुअली स्टार्टेड हेविंग फीलिंग फॉर यू.
शुरू में मुझे पता चला था, या ये कह लो दोस्तों ने मुझे सुनी सुनाई बातें बताई, की तुम्हारे पहले भी कई अफेयर रह चुके हैं. लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है, ये तो मैं अब भी नहीं कह सकता. खैर ये तुम ही जानो.
ये सब जानते हुए भी जब मैंने इस रिलेशनशिप के लिए मैंने खुद को हामी दी, देन क्वेश्चनिंग अबाउट योर पास्ट वाज जस्ट स्टूपिडिटी. दैट्स नॉट द थिंग व्हिच आई शुड बी प्राउड ऑफ़. एनीवे थैंक्स, कॉज यू एक्सेप्टेड माय प्रपोजल. मैं तो उस वक़्त बस सातवें आसमान में उड़ रहा था. क्लास की सबसे प्रीटी एंड मोस्ट फेंटेसाइज्ड गर्ल मेरी गर्लफ्रेंड. Oh my gosh!! आई कांट सेय अबाउट यू. फिर जैसे जैसे वक़्त बीतता गया, वैसे वैसे हमारी लड़ाईयां भी बढती चली गयी. और फिर एक वक़्त ऐसा आया जब मुझे लगा कि "आई कांट टेक दिस एनीमोर" , एंड देन आई डिसाइडेड टू ब्रोकअप. मैं खुश था की थैंक गॉड आई वाज द वन हु ब्रोकअप, नॉट शी. हाउ सिली आई वाज !! बचपना आई गेस!! एंड देट वो ब्रोकअप मैसेज, वो 8 पेज का SMS,आई वुड लाइक टू सेय वन वर्ड - "सॉरी". बहुत कुछ कह गया था उस दिन, जो मुझे नहीं कहना चाहिए था. सालों की भड़ास निकाल ली थी उस दिन. सॉरी रियली आई ऍम...
यू रेमेम्बेर, देट वेरी ईयर, इन व्हिच वी ब्रोकप. आई हेड गोन टू माय विलेज फॉर कपल ऑफ़ डेज. सपेसिअल्ली फॉर अटेंडडिंग ए मैरिज सेरेमनी. आई मस्ट हैव टोल्ड यू, हैवन्ट आई..?? लेकिन जो मैंने तुम्हे नहीं बताया वो ये की -देयर आई मेट समवन..!! वी अत्त्रक्टेड टुवर्ड्स ईच अदर. एंड वी मेड आउट....
ऐसा नहीं है की उस वक़्त मुझे तुम्हारा ख्याल नहीं आया. पर कुछ चीज़ें होती है न जिसका आप पर बस नहीं चलता. वो एहसास कुछ ऐसा ही था. कई बार सोचा की तुम्हे बता दूं, लेकिन नहीं बता पाया... बस नहीं बता पाया..
बहुत कर ली बुराई तुम्हारी. है न.? नहीं, इत्ती भी बुरी नहीं थी तुम. कुछ तो अच्छा देखा होगा न तुम में, मैंने. कभी नहीं तुम्हारी तारीफ़ करी. पता नहीं क्यों ? तभी तो आज तुम्हें लिखने बैठा हूँ.. वो बातें, जो मैं कभी ना कह सका.. योर आईज. येह! इट वाज द बेस्ट फीचर इन यू. कितना कुछ कह जाती थी तुम आँखों आँखों में. हाँ, लेकिन मुझे इसमें भी एक शिकायत है, मैं जब तुमसे नज़रें मिलाता तुम अपनी नज़रें क्यू झुका लेती थी? और वो आँखों की चमक देखने के लिए कितना बेताब रहता था मैं, जब तुम हंसा करता थी. यू वोंट बिलीव, आई वाज सीइंग ए गर्ल इन दिल्ली एंड जब मैंने उसको हँसाया, देन वेरी टाइम आई नोटिसड हर आईज, जो हँसते हँसते बंद हो चुकी थी. :p इट वाज होरिबल. एंड देट वाज द लास्ट डे जब मैं मिला उससे. :D :D
और हाँ, तुम्हारे बाल काफी अच्छे लगते थे मुझे, जब तुम कभी पोनी टेल बना के सामने आती थी. मैंने शायद ये तुम्हें बताया भी था , काफी अच्छा लगा था जब अगले दिन यू ट्राइड सेम. थैंक्स फॉर केयरिंग माय फीलिंग्स. इफ यू रेमेम्बेर, वो बारिश में जब तुम मेरी गली में आई थी मिलने, तुम्हारे भींगे बाल को मैंने नोटिस किया, आई नेवर टोल्ड यू - यू वाज
लूकिंग एक्सट्रीमली हॉट .फायर.! पटाखा! आई ऍम सॉरी फॉर देट लैंग्वेज..
और.. डू आई स्टिल मिस यू..?? अगर तुम ये मुझसे पूछो. तो मैं, तुम्हारे आँखों में आंखें डाल कह सकता हूँ बिना हिचक के - "नहीं". कॉमर्स में भले हमेशा तुम्हें कम मार्क्स आते थे, लेकिन आँखों को अच्छे से पढना तुम खूब जानती थी. ये जानते हुए भी मैं कहता- "आई डोंट मिस यू एनीमोर". मुझे पता है हर बार की तरह, इस बार भी तुम मेरी चोरी पकड़ लेती. कमाल करती हो!! येस! आई डू मिस यू, समटाइम्स.. सिर्फ अच्छी यादों के तौर पे तुझे याद रखना चाहता हूँ. कितनी सारी करवाहट थी हमारे बीच जब हम साथ थे, अब लगता है जैसे सब ठीक है. तो इसे ठीक ही रहने देते हैं. ठीक है...??? और..
और क्या कहूँ, तू कहा करती थी ना की अब तुम बदल गए हो. कितना ताना मारा करती थी तुम तब. और फिर जब मैंने स्कूल चेंज किया, तब तुम्हारे पास एक बहाना भी था. तब मैं, बदला तो नहीं था. बदलना जरुर चाहता था. लेकिन कोई ऐसा मिला नहीं जिसके लिए मुझे बदलने की जरुरत महसूस होती. लेकिन हाँ, अब जरुर बदल गया , "लेकिन ये बदलाव तुम्हारे लिए नहीं".इंतज़ार है मुझे उसका जिसके लिए मैं कह सकूँ , विथआउट हैविंग सेकंड थॉट - "शी इज द वन"
अक्सर लोग कहा करते हैं की दो अच्छे दोस्त,अच्छे प्रेमी बन सकतें हैं. लेकिन अगर तुम इसे पढ़ रही हो, अभी तक , तो., लेट्स बी फ्रेंड्स..नॉट लाइक फ्रेंड्स विथ बेनिफिट्स.. बस अच्छे दोस्त.. क्या ख्याल है तुम्हारा.. हें..?? बाकी जो है सो तो हैइए ही..
:- अनिरुद्ध
बस अनिरुद्ध......

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