#लप्रेक
#परदा
कितना हसीं था वो वक़्त, जब मैं जोरों से गाना गाया करता था, और तू सामने वाली खिड़की से मुझे देख हंसा करती थी.
कितना मनोरम था वो समां, जब मैं फ़ोन पे ऊँची आवाज़ में बात किया करता था , ताकि तुझे भी पता चले की मेरी भी फंटू है. :D
कितना खुबसूरत था वो पल , जब मैं तुझे देखता, बस देखता और मेरी चूल्हे पे पकती रोटी की जलने की बू आती थी.
कितना सुन्दर था वो क्षण, जब मेरे ऊँगली जली थी पानी को मापते, और "ऊह" की आवाज़ तुम्हारी खिड़की से आती.
कितना रमणीय था वो दृश्य, जब तुम्हारी खांसने की आवाज़ सुन मैं अपने किचन की खिड़की के पास दौड़ा आता था.
और फिर ठंडियाँ आ गयी, और तुमने वो परदा गिरा दिया..
#ठंडियाँ_मुबारक_हो
#परदा
कितना हसीं था वो वक़्त, जब मैं जोरों से गाना गाया करता था, और तू सामने वाली खिड़की से मुझे देख हंसा करती थी.
कितना मनोरम था वो समां, जब मैं फ़ोन पे ऊँची आवाज़ में बात किया करता था , ताकि तुझे भी पता चले की मेरी भी फंटू है. :D
कितना खुबसूरत था वो पल , जब मैं तुझे देखता, बस देखता और मेरी चूल्हे पे पकती रोटी की जलने की बू आती थी.
कितना सुन्दर था वो क्षण, जब मेरे ऊँगली जली थी पानी को मापते, और "ऊह" की आवाज़ तुम्हारी खिड़की से आती.
कितना रमणीय था वो दृश्य, जब तुम्हारी खांसने की आवाज़ सुन मैं अपने किचन की खिड़की के पास दौड़ा आता था.
और फिर ठंडियाँ आ गयी, और तुमने वो परदा गिरा दिया..
#ठंडियाँ_मुबारक_हो

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