रास्ता पता है मगर..मंजिल से अनजान हूँ

रास्ता पता है मगर..मंजिल से अनजान हूँ

Wednesday, 23 December 2015

गोलमा (सहरसा) -Golma (Saharsa) - मेरा गाँव मेरे शब्दों में

दशहरा की शाम @ भगवती स्थान 


दशहरा में प्रोजेक्टर के जरिये विष्णु पुराण का मंचन 

गाँव के बाहर का दृश्य 

जिला सहरसा जंक्शन  

गाँव  की कोशी नदी , जहाँ तक फोटो की ऊंचाई है  , वहां तक 2007 में बाढ़ का पानी पहुंचा था.

डूबता हुआ सूरज गाँव में

हनुमान  थान 

शिव मंदिर , गाँव  के दक्षिण में

भगवती स्थान मुख्य द्वार 

भगवती स्थान गोलमा


बादलों के नीचे भगवती स्थान

गाँव का मानचित्र
गोलमा (सहरसा) , बिहार .
            मेरे शब्दों में मेरा गाँव
मैंने एक दिन अनायास ही एक शब्द गूगल किया की जरा देखूं , गूगल महाशय क्या क्या रिलेटेड सर्च में दिखाते हें.
देखा तो पता चला मुश्किल से एक आर्टिकल कह ले या या एक पैसेज मिला उस शब्द के बारे में. वो शब्द कुछ और नहीं
बल्कि मेरे गाँव का नाम था "गोलमा".  
मेरा मित्र रोहित अक्सर मुझे "ओये गोलमाल" कह कर पुकारा करता था, क्यूंकि मैं गोलमाल अर्थात् गोलमा का ही निवासी हूँ,
बदले मैं उसे "टशन रे, टशन रे, टशन रे" कह कर प्रतिउत्तर देता वो इसीलिए क्यूंकि उसके गाँव का नाम "बिशन" करके कुछ था. सो एज दे बोथ
साउंड्स सिमिलर.
पतरघट प्रखंड के अन्दर और सहरसा जिला के अंतर्गत आने वाला मेरा छोटा सा गाँव है. इसका ये नाम "गोलमा"
यहाँ पे राज करने वाले "राजा गुलाम सिंह" के नाम पर पड़ा. नाम भी कितना अजीब है राजा का गुलामों जैसा. जोक्स अपार्ट..!! :D
भले ही आज गाँवों में वार्ड नंबर लागू हो गए हैं, लेकिन पुरानी पीढ़ी के लोगों ने तो जातियों के आधार पर मोहल्लों को बाँट कर रखा है.
जिसका अनुसरण नयी पीढ़ी के बच्चों के जुबान पे भी रटा गया है. मसलन ब्राहमणों के इलाकें को मुख्यतः "भभन टोली" के नाम से जाना जाता है,
मुसहर समुदाय के लोगों के नाम पे "मुसहर टोली", तेली समुदाय जिनका मुख्य व्यवसाय तेलों की पिराई हुआ करता था,
उनके लोगों ने अपने मोहल्ले को "तेली टोला" नाम दिया है, कुम्हार वर्ग के नाम से "कुम्हर टोली", पासवान लोगों का "दुसाध टोली", यादव
लोगों की "गुंवर टोली"आदि .
 वैसे गोलमा में तो आपको विभिन्न जातियों के लोग मिल जायेंगे लेकिन यहाँ की मुख्य जाति या ये कह लीजिये जिनकी संख्या ज्यादा है,
वो है राजपूत समुदाय, उसके बाद ब्राह्मण,  फिर पासवान,फिर तेली समुदाय ,  फिर मुसहर ,फिर यादव,और अन्य अल्प संख्यक समुदाय जैसे-मुस्लिम
का नंबर आता है.
 अब बात करते हें शिक्षा की , तो गाँव में 3 या 4 कान्वेंट स्कूल या प्राइमरी स्कूल खुले हैं जिनसे आप के.जी. से ले कर कक्षा 5 तक शिक्षा
ग्रहण कर सकते हैं. सभी कान्वेंट के नाम तो मुझे नहीं मालूम लेकिन हाँ, जिसमें मैंने अपनी पढाई शुरू की देट इज लड्डू सर जी वाला कान्वेंट कुछ
(S.B.V.M) सरस्वती बाल विद्या मंदिर करके नाम था. आगे की पढाई के लिए गाँव में एक मिडिल स्कूल (क्लास
6 से क्लास 8 तक) भी उपलब्ध है. इस स्कूल का निर्माण गाँव के पूर्व मुखिया श्री जय मोहन झा के पिता श्री पुनिदत्त झा के द्वारा करवाया गया था.
अगर आप उससे भी आगे की पढाई करना चाहते है, तो गाँव में माँ दुर्गा हाई स्कूल के नाम से एक हाई स्कूल भी मौजूद है,
जिसमे आप क्लास 9 और क्लास 10 तक की पढाई पूरी कर सकते है.
जैसा की आप अंदाज़ा लगा ही सकते है की गाँव की पढाई का स्तर उतना अच्छा नहीं है, ये मैं नहीं कह रहा हूँ, एक गार्डियन के शब्दों में -
  "इह.. ओते की पढाई हेते, छोड़ा सब लफुआगिरी अ आवारागर्दी करेत रहे छे.., स्कूल में मास्टर के बाटे नए और पढाई करते.. सब छे रामे भरोसे"
 मतलब वहां स्कूल  में क्या पढाई होगी वहां तो लड़के लोग आवारागर्दी करते रहते है और ऊपर से टीचर की कोई व्यवस्था नहीं सब भगवान् भरोशे है.
 स्कूल की इस माली हालात के कारण गाँव में ट्यूशन और कोचिंग क्लासेज बड़ी मात्रा में फल फूल रहे है. नवीन चचा के द्वारा खोला गया कोचिंग काफी
विद्यार्थी के लिए एक आशा की किरण बनी , इस खस्ताहाल पढाई व्यवस्था में. और अभी रिसेंटली ही सोनू भाईजी ने भी अपनी एक कोचिंग क्लासेज
खोली है, लगभग 200 बच्चे आते हैं. अच्छा है, कहीं से तो उनको ज्ञान मिल रहा है, हालाँकि अब भी ग्रामीण इलाकों में कोचिंग क्लासेज में फ़ी 150रु से 200रु
दी जाती है.
 अगर आपने किसी तरह से 10वीं तक पढ़ लिया, जो की अब भी छोटे जातियों को पोस्टग्रेजुएटड होने जैसा एहसास दिलाता है, और आगे भी पढने की हिम्मत
रखते हैं, तो इसके लिए आपको गाँव से बाहर यानी नज़दीकी टाउन या जिला मधेपुरा या सहरसा का रुख करना पड़ेगा. क्यूंकि इसके आगे नाम लिखाने
की व्यवस्था हमारे गाँव में उपलब्ध नहीं है फिलहाल.
सुनने में आया था की पटना के और देश के मशहूर पद्मश्री डॉक्टर R.N.Singh, वो गाँव में एक मेडिकल कॉलेज खोलना चाहते है.
अब ये बात में कितनी सच्चाई है ये तो मैं नहीं कह सकता, वैसे भी ये बात मैंने लगभग 4 साल पहली सुनी थी.
वो इसीलिए क्योंकि डॉक्टर साब! इसी गाँव से बिलोंग करते हैं. अगर ऐसे हो जाता तो क्या बात होती. मेरा गाँव को फिर पूरे राज्य में जाना जाता.
 उड़ते - उड़ते खबर आई थी की कॉलेज के लिए जमीन अधिग्रहण का काम पूरा हो चूका है, लेकिन ये खबर भी वही लगभग 4 साल पुरानी है.
गाँव की आय का मुख्य श्रोत खेती ही है. लेकिन माँ बता रही थी की अब तो हर कोई , कोई भी काम शुरुवात करने लगा है.
छोटे कारोबारी की संख्या अच्छी खासी मिल जायेगी आपको. गाँव के ही चौक यानी मुख्य चौराहा पर आपको विभिन्न जात के लोग कई सारे दूकान करते नज़र आ जायेंगे.
 ये लोग भी अपने पैत्रिक कामों को छोड़ कर कुछ ऐसा करना चाहते हैं जिसमे उन्हें मुनाफ़ा हो. अब कुम्हार और तेली समुदाय के लोग को वास्तविक
पेशा तो उन्हें मुनाफा देने से रहा.
 अगर आप गोलमा चौक पर पहुचेंगे तो आपको 3-4  मिठाई की दूकान दिख जायेगी. भले ही मिठाई उसमे बासी हो लेकिन उनको आपके सामने
पड़ोसने और उनके खिलाने का अंदाज़ आपको भा जाएगा. शाम को इन्द्रानन चचा की दूकान पे आपको अनेक्स्पेक्टेड भीड़ दिख जायेगी.
वे भी हलवाई है, लेकिन उनके बने समोशे की बात ही अलग है, बेजोड़, लाजवाब. आप उनकी लोकप्रियता का अंदाज़ इस बात से लगा सकता है की
समोशे की बनी पहली या आखरी खेप से एक भी समोशा शेष नहीं बचता है. इसके अलावा 3-4 मोबाइल रिचार्ज और एसेसरीज की दूकान मिल जायेगी ,
मेरी सलाह है की अगर आपका सहरसा या मधेपुरा आना जाना लगा रहता है तो ये काम वहीँ से ही उचित दाम में करा सकते है. इसके अलावा 2-3
कपड़ों की दूकान भी आपको दिख जायेगी. शाम को चाउमिन का ठेला भी लगता है, भीड़ तो काफी लगती है उसमे भी , लेकिन मैं उसको चखने की
हिम्मत नहीं कर सका. इसके अलावा सूर्याष्त होते ही सब्जी की  दुकानें भी मिल जायेगी आपको. पा अक्सर कहानी बताये करते हैं इससे संबंधित
की गोलमा को "आन्हर गाँव" यानी "अंधा गाँव" के नाम से भी जाना जाता था, वो इसीलिए क्यूंकि यहाँ जो भी सब्जी वाला आता था चाहे उसकी सब्जी ताज़ी
हो या सड़ी-गली हो, बिक जाती थी. जी हाँ, पता नहीं कैसे?
 गाँव में वहीँ चौक पर एक मात्र बैंक भी है गोलमा का - बैंक ऑफ़ इंडिया, जो शायद 90 के अंतिम वर्षों में बना था, और हाँ एक प्राइवेट एटीएम भी
है गाँव में Tata Indicash का जो की टाटा ग्रुप का ही है. भले ही एटीएम 24 घंटे नहीं खुला रहता है लेकिन हाँ दिन में आपको इसमें कैश जरुर
मिल जायेंगे , मतलब अगर आपके अकाउंट में हो तो . :D
वहीँ चौक पर रिलायंस,एयरटेल और वोडाफ़ोन के मोबाइल टावर दिख जायेंगे. जो निसंदेह 2G ही है. गाँव वालों को क्या पता 3G या 4G क्रांति
के बारे में, उन्हें तो बस मोबाइल में खेसारी लाल , कलुआ जैसे कलाकारों के विडियो मिलते रहने चाहिए. वही मोबाइल की दूकान करने वाले  वाले 10रु
में 3 फिल्में फ़ोन में भरने का चार्ज करते हैं. क्वाइट एक्सपेंसिव हाँ..?? :D
        रही बात अगर रोड कनेक्टिविटी की तो ये पहले यानी लालू जी के समय से काफी तो नहीं बट हाँ, अच्छी हालत में जरुर है. अब आप बस की पिछली
सीट में कुछ कम डर के साथ बैठ सकते है. और अब जब बस की सर्विस भी काफी अच्छी हो गई है हमारे डिस्ट्रिक्ट के लिए जो की यही कोई 35 किलोमीटर'
की दूरी पे है . पक्के सड़क के द्वारा ये गाँव मधेपुरा, सहरसा, सौन्बर्षा,बथनहा , घोघन पट्टी, भभरा, लात्तिपुर, खोज़ुराहा, सखोरी, पतरघट आदि से जुड़ी है.
सुबह -सुबह 5.30 बजे से बस का सिलसिला शुरू होता है सहरसा के लिए, उसके बाद 8.00 बजे, फिर 9.00 , फिर 12.00 बजे और
आखरी डायरेक्ट बस टू सहरसा  2.30 बजे दोपहर को. और अगर बात करें वहां से वापसी की तो सहरसा से पहली बस 8.00 बजे सुबह खलती है ,
फिर 10 बजे सुबह , 1.30 बजे दोपहर ,फिर  3.50 बजे दोपहर और आखरी शाम 6 बजे. औसत 2 घंटे में ये आपको गाँव से सहरसा एंड वाईसवर्सा.
लौटते वक़्त इन बसों का डेस्टिनेशन या तो चंडीस्थान होता है या सौनबरसा.
  वहीँ चौक पर आपको 2-3 केमिष्ट की शॉप जरुर दिख जायेगी, हालांकि गाँव के शायद एक मात्र डॉक्टर साब किरपिन बाबा है, अब जब उनके बच्चे भी
मरीजों को देखने लगे हें, तो अब उन्पें लोड थोड़ा कम लगता है. हालांकि गाँव में एक हॉस्पिटल भी खुला है यही 4 साल पहले, उन्ही डॉक्टर साब
R.N.Singh का, जो की न सिर्फ मुफ्त में इलाज करते है, बल्कि उनके डॉक्टर संभव दवायीं भी मुफ्त में वितरित करते है. लेकिन भ्रस्टाचार यहाँ भी
है, जिनको इस बात का इल्म नहीं है की मुफ्त में दवायीं दी जाती है, उनसे पैसे भी लिया जाता है. R.N.Singh जी को इस बात की जानकारी शायद
नहीं  ही होगी, वरना कुछ कार्यवाही जरुर की जाती. माँ बता रही थी की हर एक दिन विभिन्न डॉक्टर या स्पेशलिस्ट पटना से आते है. अच्छी बात है!!
गाँव में ये (R.N.Singh)अक्सर क्रिकेट टूर्नामेंट करवाते रहते हें.अच्छा है , इसी बहाने नयी प्रतिभा को एक नया मंच मिल जाता होगा.
25000रु इनामी राशि के लालच में. इंसान अच्छे हैं वो, नहीं तो अभी तक वो अपनी माटी को क्यू याद रखते?
 अब बात करते है दुसरे मूलभूत सुविधा जैसे पानी की , तो सभी घर में हैंडपंप लगा है, डेल्ही हाइट्स इसे पढ़ के खुन्नस खा सकते है..!! :p
हाँ तो, पानी की समस्या नहीं है गोलमा में. और रही बात बिजली की तो, बिजली के खम्भे तो 2004 या 05 में लग गए थे. शायद उसी साल
गाँव वालों ने बिजली का चेहरा भी देख लिया होगा, लेकिन हालत अब भी सही नहीं है, इसी बारी विधानसभा चुनाव से पहले जब बिजली दी गयी.
उसके बाद से रात में अक्सर रहा करती है. ठंडियों में लाइट की स्थिति अच्छी रहती है, यही कोई 4-5 घंटे औसतन मौजूद रहती है बिजली आजकल.
हाँ, मैं, इसमें भी अगर हालात अच्छे कह रहा हूँ, क्यूंकि पहले तो ये महीने में एक या दो बार ही अपना चेहरा दिखाया करती थी. भले ही बिजली के मीटर
उसी वक़्त 2005 में लगा दिए गए हो, लेकिन अब स्थिति अच्छी है पहले से.
 मतलब ऐसा भी नहीं है की बाकी के दिनों में गाँव वाले अँधेरे या लैंप में ही गुजरा करते है. हमारे गाँव में भी एक नूरजहां है, यू रेमेम्बेर जिसका पी.एम
मोदी ने जिक्र किया था. जो सोलर एनर्जी का यूज़ करके एक लैंप घरों तक पहुचाया करती थी. नाम है रंजन. हाँ, लेकिन हमारा ये नूरजहां  इको-फ्रेंडली नहीं है
क्यूंकि ये डीजल का यूज़ करके लोगों को लाइट उपलब्ध कराता है , गर्मियों में शाम 7-10.30, और ठंडियों में 5 से 9 बजे तक .
खैर जो भी हो लोगों को रोशनी मिलती रहनी चाहिए, क्या फर्क पड़ता है उन्हें इको और फीको फ्रेंडली होने या न होने से.
गाँव के बीचों-बीच एक भव्य मंदिर बनाया गया है जो माँ भगवती का है. इसको स्थानीय लोगों के द्वारा "भगवती स्थान" के नाम से जाना जाता है.
आप इसे गोलमा का "लैंडमार्क" भी कह सकते है. गोलमा की शान है ये मंदिर. हर शाम काफी भीड़ होती है, मोस्टली कुंवारी लड़कियां अपने अच्छे
वर की मनोकामना लिए यहाँ शाम को आरती करने आती है.दशहरा का मेला काफी अच्छा लगता है, काफी भीड़ जुटती है उसी भगवती स्थान के पास.
 सब अच्छा है गाँव में. थोड़ी और सुविधा होती तो जरुर और अच्छा रहता गाँव में. गाँव में कुछ ज्यादा अच्छा है तो वो भगवती स्थान है और इन्द्रानन चचा के
समोशे. कभी आना होगा तो चख के जरुर जायेइगा. बाकी जो है सो तो हैइए है.
:- #MJ_की_कीपैड_से

Saturday, 12 December 2015

परदा

#लप्रेक
#परदा
कितना हसीं था वो वक़्त, जब मैं जोरों से गाना गाया करता था, और तू सामने वाली खिड़की से मुझे देख हंसा करती थी.
कितना मनोरम था वो समां, जब मैं फ़ोन पे ऊँची आवाज़ में बात किया करता था , ताकि तुझे भी पता चले की मेरी भी फंटू है. :D
कितना खुबसूरत था वो पल , जब मैं तुझे देखता, बस देखता और मेरी चूल्हे पे पकती रोटी की जलने की बू आती  थी.
कितना सुन्दर था वो क्षण, जब मेरे ऊँगली जली थी पानी को मापते, और "ऊह" की आवाज़ तुम्हारी खिड़की से आती.
कितना रमणीय था वो दृश्य, जब तुम्हारी खांसने की आवाज़ सुन मैं अपने किचन की खिड़की के पास दौड़ा आता था.
और फिर ठंडियाँ आ गयी, और तुमने वो परदा गिरा दिया..
#ठंडियाँ_मुबारक_हो

लप्रेक - दीदार


#लप्रेक
मिश्रा जी रोज की तरह आज भी सुबह सुबह 5.30 बजे अपनी बालकनी पे जा पहुंचे.
मिश्रा जी दिल्ली के द्वारका सेक्टर- 2 के निवासी हैं. उम्र यही कोई 40 पार है.
वैसे आपको बता दूँ की डेल्ही हाईट्स के लिए सुबह 5.30 बजे उठना कोई आम बात नहीं है.
उनकी सुबह तो अमूमन 9 या 10 बजे शुरू होती  है.
अच्छी खासी नौकरी, और हाँ 7 सालों से ये ठीक नहीं हैं. मतलब इनकी शादी हो चूकी है यही कोई 7  साल पहले. :D
इनको 27 जनवरी , 16 अगस्त, और  होली, दीवाली के जस्ट बाद वाले दिनों से नफरत है.
बड़ा मनहूस दिन गुजरता है उनका.
कारण ये की उस दिन न्यूज़ पेपर या अखबार पब्लिश नहीं होते.
नहीं,नहीं  ऐसा बिल्कुल नहीं है की उन्हें अखबार पढ़ना बहुत ज्यादा पसंद  है.
कारण ये की, उस दिन अखबार वाला, सामने की बालकनी में अखबार नहीं दे जाता.
जी हाँ, सामने वाली बालकनी में रहने "वाली" से संबंधित है ये बात.
हाँ, जी. उन्होंने पता लगाया है की वो जो सामने रहती है, उनका डाइवोर्स हो चूका है.
अकेले और तन्हा उस 2 BHK फ्लैट में रहती है वो.
और हाँ, उसके बारे में ये भी पता चला है की, वर्किंग वीमेन है वो.
ये बालकानी वाला सिलसिला यही कोई 3 साल से चल रहा है.
बट दे नेवर एक्सचेंड् ए सिंगल वर्ड और नाइदर ए लिटिल स्माइल.
वो बस मिश्रा जी के लिए "द लकी वन" है.
सुबह 5.30 बजे से उनका इंतज़ार के घड़ी की शुरुवात हो जाती है.
सुबह 5.30 बजते ही मिश्रा जी अपनी बालकनी पे जा पहुचते है फ्रेश हो कर.
फिर उस पल का तब तक इंतज़ार करते हैं जब तक सामने वाली बालकनी में मिस अकांक्षा अखबार उठाने न आ जाये.
बस 2 सेकंड के लिए उनके चेहरे का दीदार हो पाता है.
ये 2 सेकंड आने वाले 86398  सेकंड्स को खुशनुमा बना जाते है.....
लेकिन आज घना कोहरा छाया हुआ है उनके बीच.
उनको अखबार के बालकनी में गिरने की आवाज़ आती है.
लेकिन धुंध इतनी ज्यादा है की वो सामने का कुछ नहीं देख सकते..
शायद आज दिन फिर मनहूस कटने वाला है.
#कमबख्त_कोहरा #कमबख्त_ठंडियाँ कह कर वो अन्दर चले जाते है.
#ठंडियाँ_मुबारक_को
:- #MJ_की_कीपैड_से

रिकी बॉस - सफ़र

#रिकी_बॉस
बड़ा उदास दिख रहा था रिकी. मैंने पूछा क्या हुआ बॉस..?
क्या बताऊ यार! माय लक सक्स!!
अबे! ऐसा क्यू कह रहा है तू?
देख न यार! मैं जब भी सफ़र पर निकलता हूँ. आई मीन अकेले!!
कब्भी भी नहीं मुझे सही सी हमसफ़र या सहयात्री कह ले, नहीं मिली है.
लास्ट टाइम व्हेन आई वाज ट्रेवल्लिंग विथ माय फैमिली, बड़ी सही सी लड़की आई हमारे कम्पार्टमेंट में!!
बट, एज आई टोल्ड यू, आई वाज विथ माय फैमिली. सो आई कुडन्ट रेस्पोंसड हर स्माइल एंड आल देट.
ओह्ह!!!!!
हाँ, और क्या !! इफ यू रेमेम्बेर माय फर्स्ट #लप्रेक - #वो_ट्रेन_वाली जो थी.
हाँ-हाँ!! आई डू रेमेम्बेर!!
देट वाजन्ट जस्ट ए स्टोरी. अबे मेरी सच्ची कहानी थी वो!!
क्या बात कर रहा है बॉस!! सच्ची??
हाँ., और क्या!!
आयरनी ऑफ़ द सिचुएशन वाज देट, मैं तब भी अकेला नहीं था.
नहीं, तो पक्का मैं उस कहानी को हैप्पी एंडिंग देता..
मतलब, कभी भी तुझे कोई नहीं मिली जब तू अकेला था..??
नहीं यार.
अरे हाँ !! एक बार मिली थी, बड़ी सही थी. मैं अपर बर्थ में था, और वो जस्ट सामने वाले बर्थ में लेटी थी.
काले सॉल में खुद को छुपा रखा था. शायद बहुत गहरी नींद में डूबी थी.
फिर.. फिर क्या हुआ? यू गाइज टॉकड?
न यार, फॉर बीइंग कम्फ़र्टेबल आई रिमूव्ड माय शूज.
इतना कह रिकी चुप हो गया.
ओये फिर क्या हुआ??
तुझे क्या लगता है ? क्या हुआ होगा?
रिकी बोला-
फिर मुझे कुछ याद आया, व्हेन आई वाज टेलिंग माय मम्मी, डे बिफोर यस्टरडे, की ये मरे हुए चूहे की बदबू कहाँ से आ रही है माँ ..??
भाई! रहने दे, मैं समझ गया.!! आगे कुछ मत बतइयो..
फिर तो तूने उसको पलट के भी नि देखा होगा..?? या वाईसवर्सा.. :p
मुझे हंसी आ जाती है..
चल कोई न..
इस बार देखना शायद कोई मिल जाये!! तेरे सफ़र को हसीं बनाने वाली..
और हाँ, अपने जूतें जरुर चेक करते रहना दो दिन पहले से.
 :p
:- #MJ_की_कीपैड_से

Thursday, 3 December 2015

रिकी बॉस इन पॉलिटिक्स

#रिकी_बॉस
रिकी बॉस वांट्स टू जॉइन पॉलिटिक्स,समवेयर हेज टू बी स्टार्टेड.
ही वेंट टू ए वेल नोन लीडर.
टोल्ड हिम अबाउट हीज ड्रीम्स फॉर इंडिया, फॉर हीज कंट्री फॉर हीज पीपल.
ओह! देश सेवा, हाँ..??
येह!
तो भई कितना पढ़े हो..?
सर आई ऍम पोस्ट ग्रेजुएट.
अरे रे रे रे रे....
सर व्हाट हप्पेनेड.?
कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड..?
अरे नेताजी! कैसी बात कर रहे है.? बिल्कुल नहीं.
अच्छा उम्र क्या है तुम्हारी..? (पान की पीक दीवार पर फेंकते हुए)
21.
अच्छा, नेता बन के क्या करोगे.?
लोगों की सेवा, उनके बेहतर कल के लिए काम करूँगा.
अरे रे रे रे रे.... तुम तो वाकई में सीरियस हो..!!
कितना खाओगे, कितना खाने दोगे.. हें?
अरे कैसी बात कर रहे है आप, मैं तो ऐसा सोच भी नि सकता.
अरे दादा...!!
अच्छा, बड़े बड़े वादे कर सकते हो?
नहीं सर, मैं उनको कोई  झूठा सपना दिखा कर वोट हासिल नहीं करना चाहता..!
ओह हो..!!
देखो बच्चे! ना तुम झूठ बोल सकते हो, न तुम 9वीं या 10वीं तक पास या फ़ैल हो,
पोस्ट ग्रेजुएट हाँ..(भोहों को ऊपर चढ़ा के), साफ़ सुथरे छवि के हो. भ्रस्टाचार के सख्त खिलाफ हो.
न लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखा सकते हो.
मुझे माफ़ करना, मैं तुम्हे अपनी पार्टी का टिकट नहीं दे सकता.
बच्चे! ऐसे नेताओं की डिमांड ही नहीं है आजकल.
चलो बच्चे! अब तुम चलो. मुझे ज़रा सोमपुर जाना है.
वहां किसी अल्पसंख्यंक दलित को ऊँची  जाति के कुछ लड़कों ने जिन्दा जला दिया है.
जाऊ जरा कुछ राजनीति कर आता हूँ. भई हमारा वोट बैंक जो है.!!
रिकी उदास मन से मुड़ कर जाने लगता है.
नेता जी फुसफुसाये - हूं..बड़ा आया देश सेवा करने!! पढ़ा लिखा कहीं का!!
 #MJ_की_कीपैड_से

जोरों से आई है

 अरे! सुनो तो जाने जां.
मेरी बाहों में आ
यूँ बिन कुछ कहे,
यूँ बिन कुछ सुने,
ऐसे दूर न जा.
वो बोली -
आई ऍम कमिंग बेबी
गिव में जस्ट 5
करुँगी न इससे ज्यादा देरी.
अरे!
ऐसी क्या बात है?
तुम जाओगी कहाँ
मीत तुम्हारा,
तो तुम्हारे साथ है.
ओहो! हनी,
ट्राय टू अंडरस्टैंड
लेट मी गो
एल्स इट वुड टेक टेन.
अरे यार!
तुम बस मेरे पास आओ
मुझसे यूँ दूर न जाओ,
देखो मुझ पर
बड़ी उदासी छाई है?
शटअप!
तुम रुको
मुझे joooroooooonnn से आई है.
#कुछ_भी 

बच्चा अब बड़ा हो गया है

"बच्चा अब बड़ा हो गया है"

मम्मी बोली -
आजा मेरा रजा बेटा
तुझे कोई लोरी सुनाऊ,
तेरी जगती आँखों को सुलाऊ
तेरे माथें पे हाथों को फेरु
तेरे सारे गमों को ले लूं ,
तुझे दुलारू
थोड़ा पुचकारू,
आजा मेरी गोद में
तेरा बालों को सवारूँ.
-
माँ को कैसे बताऊ मैं ?
ममता की मूरत को
कैसे समझाऊ मैं ?
ये मटका अब घड़ा बन गया है
और मैं खेलने वाला
कोई छोटा बच्चा नहीं रहा
ये अब बड़ा हो गया है ,

इसको अब zapak,e-games से
मन नहीं भरता ,
shaadi.com और dating साइट्स
से ये नहीं हटता.
जो कल तक
सनी देओल का
करता था गुण-गान
और आज सनी है
उसकी जान.!!
जो कल तक राष्टीय खेल
का था फैन,
वो आज खेलता है,
जो है देश में बैन .
जो कल तक कहता था,
करिश्मा, माधुरी रॉक्स!!
आज वो कहता है
जस्ट Megan Fox!
एक वक़्त था
जब तेरा बच्चा
कार्टून नेटवर्क, हंगामा,पोगो
के लिए लड़ता था ,
और आज देखो तो ज़रा
लगता है फैशन  टी.वी
देख कर ही
पेट भरता है .
जो कभी कहता था
नो शक्तिमान नो खाना
वो आज है
दोनों भाभियों का दीवाना |
तभी आई पापा के
क़दमों की दस्तक,
अच्छा मम्मी
मैं निकलता हूँ
नहीं तो सुनना पड़ेगा
डांट पापा की
ना जाने कब तक.?
पा आये  पास मेरे,
बोले- थक गया हूँ
सुन-सुन के
बातों को तेरे.
यूँ खाली बैठे -बैठे
मक्खियाँ न मार,
थोड़े हाथ पैर चला
और कमा के ला
कुछ पैसे चार.
तू हो तो गया है बड़ा,
लेकिन फिर भी
तू घर पर रहता है
क्यू पड़ा..?
जब तक नहीं
ढूंढ पायेगा कोई नौकरी,
क्यू देगा कोई तुझे
अपनी छोकरी?
अब भी है वक़्त
संभल जा जरा
नहीं तो बनना
पड़ेगा मुझे
थोडा और सख्त.
नहीं देख सकता तुझे
होता बर्बाद,
गर हो गया है
तू वाकई में बड़ा
तो कर खुद को
जरा आबाद.
मुझे है पता की
तुझे है पसंद
पड़े रहना घर पर
ठंडी, गर्मी या हो बसंत.
मैं धीरे से बोला -
पा हाउ कैन यू से देट..?
पा उठ खड़े हुए
और बोले -
कज आई ऍम योर डैड!
:- #MJ_की_कीपैड_से

The Letter - बातें जो न कर सका कभी बयां

(इस पत्र के सभी पात्र काल्पनिक है, इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है..)
प्रिय रागिनी,
मुझे अब तुम्हे "प्रिय" कहने का अधिकार भी नहीं है शायद. मैं बहुत अच्छा हूँ ,हँसता हूँ और  हाँ, खुश       भी हूँ. कैसी हो तुम? आशा करता हूँ तुम भी अपनी दुनिया में खुश होगी. वो दुनिया जिसका हिस्सा अब मैं    नहीं    रहा. मुझे याद है, की तुम कहा करती थी की मैं, तुम्हारे बिन हमेशा अधूरी  रहूंगी. आशा करता हूँ की उस अधूरे जगह की अब भरपाई हो गयी होगी. कोई मिल ही गया होगा जो मुझसे भी ज्यादा समझदार हो. जो    मुझसे भी ज्यादा तुम्हे समझने की कोशिश करता हो. तुम्हें बता दूं , क्यूंकि मुझे पता है की तुम्हारे मन में क्या  चल रहा होगा..! मेरा स्टेटस जरा कोम्प्लिकेटेड है फिलहाल तो अभी. ऐसा बिल्कुल मत सोचना की तुम्हारे बाद मेरा कोई हो न सका. लेकिन, हाँ, तुम्हारे बाद कोई रिलेशनशिप मेरी ज्यादा सक्सेस नहीं हुई. फिर बाद में मैंने रिएलाईज किया की पापा के पैसे पर कब तक मौज करूँगा, कुछ शौक मैंने खुद के पैसे के लिए बचा के रखे है. हाँ बिल्कुल, तुम इसे सेल्फ रिस्पेक्ट से भी जोड़ सकती हो. या इसपे  तुम भले मुझे अब बेहतर या समझदार इंसान के तौर पे देख सकती हो. हाँ, अब मैं चीजों को दोनों पहलूओं से समझने लगा हूँ. मैं जानता हूँ, काफी गलत किया मैंने तुम्हारे फीलिंग्स के साथ. मैंने जो कुछ भी किया मुझे नहीं करना चाहिए था. लेकिन करता तो करता क्या ? हूँ तो आखिर मर्द जात का. तो मेरी सोच,मेरी समझ भी वैसी ही थी. न जाने कितने सवाल
दागे होंगे मैंने? न जाने कितनी बार शक की शुई तुम पर बरसाई होगी. ना जाने कितनी बार तुमसे लड़ाई हुई. ना जाने कितनी बार मुझको, तुम्हें मनना पड़ा होगा. न जाने कितने बार तुम्हारे आँखे नम हुई होगी. न जाने..
और इसमें गलती तुम्हारी भी थी, क्या तुम ये नहीं कह सकती थी की , "अनिरुद्ध, दोज आर माय पास्ट एंड यू आर माय प्रेजेंट". तब नहीं थी समझ, मुझे की- "एवरीवन हेज ए पास्ट" और अगर एक 10th स्टैण्डर्ड के बच्चे से इस समझ की तुम उम्मीद कर रही थी, तो मैं बता दूं, की तुम गलत थी. मैं थोड़ा कच्चा था इन प्यार के मामलों में. हालांकि मेरे अफेयर तुमसे पहले भी हुए थे, लेकिन वो तुम ही पहली थी जिससे ये कुछ महीनों
तक नहीं बल्कि लगभग 549 दिनों तक चला. और जहाँ तक मेरे रोने की बात है, इफ यू रेमेम्बेर जब हमारे 10th के एक्साम्स स्टार्ट होने वाले थे, जब मेरे कहने पर ही हमने फ़ोन पर बात न करने का डिसिजन लिया था. तो जब एक्साम्स ओवर होने पर मैंने घर वालों से अपना फ़ोन माँगा , जो इतने दिनों तक बिना तुम्हारे
मैसेज के बीप और बिना किसी कॉल की टोन से खामोश अलमारी में बंद था. पूरा घर सूना - सूना लग रहा था. और जब मैंने फ़ोन वापस माँगा, तो मुझे जवाब "ना" में मिला. मैं उदास हो गया. बहुत रोया , फिर 2 दिन बाद मुझे तुम्हारी आवाज़ सुनने का मौका मिला. काश तू मेरी कमजोरी नहीं बल्कि मेरी स्ट्रेंथ बन के सामने आती. यू नेवर ट्राइड टू मोटीवेट मी टुवर्ड्स माय स्टडी. यू क्नो लाइक ए गुड गर्लफ्रेंड. तभी तेरे जाने का ज्यादा गम नहीं था. तुझे देख के मैं अक्सर खुद से पुछा करता था - "इज शी इज द वन..??"
यू क्नो व्हाट वाज द बेस्ट अबाउट यू, बिल्कुल नखरें नहीं थे तेरे. की एंडी, वहां ले चलो. एंडी,ये दिला दो.          एंडी,वो चाहिए एंड आल. कोई खर्चा नहीं करवाती थी तू, इवन डेली फ़ोन कॉल करने का जिम्मा भी तूने अपने सर ले रखा था..एक लड़के को और क्या चाहिए इसके सिवा....
मैं तुम्हें कभी नहीं बता सका, कि मेरा "वो" जो तुम्हारे लिए था, वो "प्यार" नहीं था. हाँ, तुमने सही पढ़ा, वो प्यार तो नहीं था. वो क्या था इसका जवाब मुझे अभी तक नहीं मिल पाया है, न मैं अभी तक दूंढ़ पाया हूँ, वेदर इट्स क्रश, अट्रैक्शन और लस्ट. लेकिन हाँ, तुझसे जुड़ाव जरुर लगने लगा था. तेरा साथ, मुझे अच्छा लगने लगा था. जब तेरे साथ रहता था, लगता था जैसे दुनिया में कुछ भी तुमसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट नहीं है.
तेरा साथ, हमेशा मुझे स्पेशल फील कराता था. तेरा वो एक SMS,आई स्टिल रेमेम्बेर - "इंसान कितना ही आम क्यों न हो,किसी न किसी के लिए ख़ास होता है" . और मैं..??  मैं,अपने दोस्तों के सामने तुम्हें टाइमपास से ज्यादा कभी न मान पाया. हाँ, ये सच है.मुझे माफ़ करना. आई रियली रियली फील सॉरी फॉर सेयिंग देट. बट देट वाज ट्रुथ.तुम्हें पता है.? मेरा सबसे हसीं पल तुम्हारे साथ कौन सा था.? ये तब भी नहीं था व्हेन वी वेंट ऑन फर्स्ट डेट, और तब भी नहीं व्हेन यू केम टू माय प्लेस एंड वी टॉकड फॉर हावर्स, नाइदर व्हेन यू एक्सेप्टेड माय प्रपोजल, नाइदर व्हेन वी हेड आवर फर्स्ट किस..
बस कुछ क़दमों का साथ था वो,
हाथों में तेरा हाथ जो
ऐसा पल,
                हसीं था वो.
यू सी? मैं भी अब पोएट्री करने लगा हूँ. हाँ, वक़्त ने किया  कुछ हसीं सितम. :)
अगर तुम्हे याद हो, की 8th स्टैण्डर्ड से मेरा एक दोस्त तुम्हें पसंद करता था, तो बस उसको जलाने के लिए,
आई स्टार्टेड हिटिंग ऑन यू. फिर पता नहीं चला कब, आई एक्चुअली स्टार्टेड हेविंग फीलिंग फॉर यू.
शुरू में मुझे पता चला था, या ये कह लो दोस्तों ने मुझे सुनी सुनाई बातें बताई, की तुम्हारे पहले भी कई अफेयर  रह चुके हैं. लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है, ये तो मैं अब भी नहीं कह सकता. खैर ये तुम ही जानो.
ये सब जानते हुए भी जब मैंने इस रिलेशनशिप के लिए मैंने खुद को हामी दी, देन क्वेश्चनिंग अबाउट योर पास्ट वाज जस्ट स्टूपिडिटी. दैट्स नॉट द थिंग व्हिच आई शुड बी प्राउड ऑफ़. एनीवे थैंक्स, कॉज यू एक्सेप्टेड माय प्रपोजल.  मैं तो उस वक़्त बस सातवें आसमान में उड़ रहा था. क्लास की सबसे प्रीटी एंड मोस्ट फेंटेसाइज्ड गर्ल मेरी गर्लफ्रेंड. Oh my gosh!! आई कांट सेय अबाउट यू. फिर जैसे जैसे वक़्त बीतता गया, वैसे वैसे हमारी लड़ाईयां भी बढती चली गयी. और फिर एक वक़्त ऐसा आया जब मुझे लगा कि "आई कांट टेक दिस एनीमोर" , एंड देन आई डिसाइडेड टू ब्रोकअप. मैं खुश था की थैंक गॉड आई वाज द वन हु ब्रोकअप, नॉट शी. हाउ सिली आई वाज !! बचपना आई गेस!! एंड देट वो ब्रोकअप मैसेज, वो 8 पेज का SMS,आई वुड लाइक टू सेय वन वर्ड - "सॉरी". बहुत कुछ कह गया था उस दिन, जो मुझे नहीं कहना चाहिए था. सालों की भड़ास निकाल ली थी उस दिन.  सॉरी रियली आई ऍम...
यू रेमेम्बेर, देट वेरी ईयर, इन व्हिच वी ब्रोकप. आई हेड गोन टू माय विलेज फॉर कपल ऑफ़ डेज. सपेसिअल्ली  फॉर अटेंडडिंग ए मैरिज सेरेमनी. आई मस्ट हैव टोल्ड यू, हैवन्ट आई..?? लेकिन जो मैंने तुम्हे नहीं बताया वो ये की -देयर आई मेट समवन..!! वी अत्त्रक्टेड टुवर्ड्स ईच अदर. एंड वी मेड आउट....
ऐसा नहीं है की उस वक़्त मुझे तुम्हारा ख्याल नहीं आया. पर कुछ चीज़ें होती है न जिसका आप पर बस नहीं चलता. वो एहसास कुछ ऐसा ही था. कई बार सोचा की तुम्हे बता दूं, लेकिन नहीं बता पाया... बस नहीं बता पाया..
बहुत कर ली बुराई तुम्हारी. है न.? नहीं, इत्ती भी बुरी नहीं थी तुम. कुछ तो अच्छा देखा होगा न तुम में, मैंने. कभी नहीं तुम्हारी तारीफ़ करी. पता नहीं क्यों ? तभी तो आज तुम्हें लिखने बैठा हूँ.. वो बातें, जो मैं कभी ना कह सका.. योर आईज. येह! इट वाज द बेस्ट फीचर इन यू. कितना कुछ कह जाती थी तुम आँखों आँखों में. हाँ, लेकिन मुझे इसमें भी एक शिकायत है, मैं जब तुमसे नज़रें मिलाता तुम अपनी नज़रें क्यू झुका लेती थी? और वो आँखों की चमक देखने के लिए कितना बेताब रहता था मैं, जब तुम हंसा करता थी. यू वोंट बिलीव, आई वाज सीइंग ए गर्ल इन दिल्ली एंड जब मैंने उसको हँसाया, देन वेरी टाइम आई नोटिसड हर आईज, जो हँसते हँसते बंद हो चुकी थी. :p इट वाज होरिबल. एंड देट वाज द लास्ट डे जब मैं मिला उससे. :D :D
और हाँ, तुम्हारे बाल काफी अच्छे लगते थे मुझे, जब तुम कभी पोनी टेल बना के सामने आती थी. मैंने शायद   ये तुम्हें बताया भी था , काफी अच्छा लगा था जब अगले दिन यू ट्राइड सेम. थैंक्स फॉर केयरिंग माय   फीलिंग्स. इफ यू रेमेम्बेर, वो बारिश में जब तुम मेरी गली में आई थी मिलने, तुम्हारे भींगे बाल को मैंने नोटिस किया, आई नेवर टोल्ड यू - यू वाज
लूकिंग एक्सट्रीमली हॉट .फायर.! पटाखा! आई ऍम सॉरी फॉर देट लैंग्वेज..
और.. डू आई स्टिल मिस यू..??  अगर तुम ये मुझसे पूछो. तो मैं, तुम्हारे आँखों में आंखें डाल कह सकता हूँ बिना हिचक के - "नहीं". कॉमर्स में भले हमेशा तुम्हें कम मार्क्स आते थे, लेकिन आँखों को अच्छे से पढना तुम खूब जानती थी. ये जानते हुए भी मैं कहता-  "आई डोंट मिस यू एनीमोर". मुझे पता है हर बार की तरह, इस बार भी तुम मेरी चोरी पकड़ लेती.  कमाल करती हो!! येस! आई डू मिस यू, समटाइम्स.. सिर्फ अच्छी यादों के तौर पे तुझे याद रखना चाहता हूँ. कितनी सारी करवाहट थी हमारे बीच जब हम साथ थे, अब लगता है जैसे सब ठीक है. तो इसे ठीक ही रहने देते हैं. ठीक है...??? और..
और क्या कहूँ, तू कहा करती थी ना की अब तुम बदल गए हो. कितना ताना मारा करती थी तुम तब. और फिर जब मैंने स्कूल चेंज किया, तब तुम्हारे पास एक बहाना भी था. तब मैं, बदला तो नहीं था. बदलना जरुर चाहता था. लेकिन कोई ऐसा मिला नहीं जिसके लिए मुझे बदलने की जरुरत महसूस होती. लेकिन हाँ, अब जरुर बदल गया , "लेकिन ये बदलाव तुम्हारे लिए नहीं".इंतज़ार है मुझे उसका जिसके लिए मैं कह सकूँ , विथआउट हैविंग सेकंड थॉट - "शी इज द वन"
अक्सर लोग कहा करते हैं की दो अच्छे दोस्त,अच्छे प्रेमी बन सकतें हैं. लेकिन अगर तुम इसे पढ़ रही हो, अभी तक , तो., लेट्स बी फ्रेंड्स..नॉट लाइक फ्रेंड्स विथ बेनिफिट्स.. बस अच्छे दोस्त.. क्या ख्याल है तुम्हारा.. हें..?? बाकी जो है सो तो हैइए ही..

:- अनिरुद्ध
बस अनिरुद्ध......