रास्ता पता है मगर..मंजिल से अनजान हूँ

रास्ता पता है मगर..मंजिल से अनजान हूँ

Saturday, 18 July 2015

ख्वाहिश

जिंदगी ने मुझसे पुछा,
क्या चाहता है तू मुझसे ,
मैंने कहा 
ना Veyron, ना Gallardo, ना BMW X5
बस एक Ferrari की हो सवारी,
साथ हो एक खुबसूरत
गर्लफ्रेंड-कम-वाइफ.. wink emoticon
बोला बस...???
कुछ और भी मांग ले ..!!
अच्छा..??
ना Italy में ,ना Rome में,
ना Denmark में,
बस एक 3 BHK फ्लैट दिला दो
यही पास Newyork के बाज़ार में |
अच्छा..
और कुछ...??
एक नौकरी हो छोटी सी,
जिसमे सैलरी हो मोटी सी,
ना काम का ज्यादा प्रेशर हो,
साथ में कुछ उपरी Treasure हो,
ना ऊपर कोई खरूस सीनियर हो,
10-12 दिलकश जूनियर का Pleasure हो,
केबिन AC की हवा में हो ,
और मेरी हर परेशानी के लिए
एक खूबसूरत P.A सेवा में हो..
इसपे वो हंस पड़ा
बोला..
रंगीन मिजाज़ के लगते हो..
मैं भी हंस पड़ा..
चल ये भी मंज़ूर..!!!
और कुछ..??
हाँ.! हाँ.! नोट करो यार..!!
grin emoticon grin emoticon
(जिंदगी ने अपने Notepad निकला)
मैंने सोचना शुरू किया ...
क्या माँगू... क्या माँगू...??
सोचते ही होठों पे मुस्कान आयी ..
और
कुछ आवाज़ कानों में आई
मैंने गौर किया
तो पता चला
की मम्मी ने फ़रमान सुनाया
उठ निक्कमे.!
अब तो दोपहर होने आया..
छे..!! ये तो सपना था
बस यही तो रोना था |
मैंने मम्मी से कहा
क्यू तूने दिया सपना तोड़..?
वो प्यार से बोली.. बेटा..
दिन में सपना देखना छोड़,
अपनी इन तीव्र इक्छाओ को मोड़ ,
पढाई पे दे बस जोर
तब जिंदगी को भी इक्छा होगी
की इसे दूं कुछ और!
अब और !
फिर और !

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