रास्ता पता है मगर..मंजिल से अनजान हूँ

रास्ता पता है मगर..मंजिल से अनजान हूँ

Tuesday, 28 July 2015

खाली पड़ी सीट

बगल की खाली
सीट को देख कर,
किया मैंने इशारा,
तो मुस्कुरा के बोली ,
नेक्स्ट स्टॉप,
आने वाला
है हमारा,
मैंने लिया थोड़ा
इंटरेस्ट,
पुछा,
कौन सा वाला नेक्स्ट?
उसने मुझे
ऊपर से नीचे निहारा,
 (शरारत भरी आँखों को बड़ी करके)
(भोंहों को ऊपर चढ़ा के)
बोली,
मतलब क्या है
 तुम्हारा?
मैंने कहा ,
अजी गुस्सायिए
मत हुज़ूर,
चाहे मत बताएइये,
हम ये भी
करेंगे मंज़ूर,
पर रखयेगा
अपना ख्याल,
क्यूंकि स्टॉप तो
आ रहा है आपका,
पर अब तक
उलझे पड़े हैं
मेरे सवाल,
बोली क्या मतलब?
मतलब ये...
क्या इस खूबसूरती
का भी है कोई
पहरेदार?
(थोडा मुस्कुराई)
बोली नहीं..
अब तक तो नहीं |
मैंने भी कहा,
चलो ठीक है
ऐसा ही सही,
(थोड़ी हिचक से)
(थोड़ी झिझक से)
 मैंने पुछा,
रातों में सोने
के अलावा भी
करती हैं कुछ आप?
(पहले थोडा मुस्कराई...)
(फिर जरा शरमाई...)
(और फिर नज़रें मिलायी...)
बोली,
अब तक तो नहीं,
लेकिन,
शायद,
आज रहेगा किसी
ख़ास का  इंतज़ार|
मैं बोला,
(खुश होते हुए)
धडकनों को मेरी
है आपने बढ़ाया,
करियेगा जरूर
मेरा इंतज़ार,
क्यूंकि
मैं बस यूँ गया
और यूँ आया |

 #MJ_की_कीपैड_से

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