हाँ वो तू ही तो है
जिसको मैंने ख्वाबों
में देखा था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसको मैंने ख्यालों
में सोचा था |
हाँ वो तू ही तो है
जो मेर हर सफ़र
में मेरे साथ था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसको मुझ पे
खुद से ज्यादा विश्वास था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसके संग मैंने
देखे कुछ ख्वाब थे ,
हाँ वो तू ही तो है
जिनके साथ इनके
पूरे होने के एहसास थे |
हाँ वो तू ही तो है
जो धूप में
मुझे अपनी पलकों
की छावों में छिपाती थी ,
हाँ वो तू ही तो है
जो बारिश में मुझसे
लिपट जाती थी |
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मुझे ज़माने
से डरना सिखाया ,
फिर चुपके से हाथों में हाथ
डाल चलना सिखाया |
हाँ वो तू ही तो है
जिसके साथ वक़्त का
पता नहीं चलता था ,
सुबह तुम्ही से होती ,
दिन तुम्हीं में ढलता था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मुझे
बचपना सिखाया था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मुझे रूठ के
मनाना सिखाया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसकी एक हंसी
मुझसे सबसे प्यारी थी ,
जिसके लिए दुनिया
कुर्बान सारी थी |
हाँ वो तू ही तो है
जिसके करीब आकर
मैंने खुद के साँसों
को महसूस किया था ,
दुनिया की नज़रों
से बचा के तुझे,
खुद को ,
महफूज़ किया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसको मैंने पल-पल
हंसाया था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मुझे हर
वक़्त रुलाया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसको मैंने अपना
हर अतीत बताया था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मुझसे
सब कुछ छुपाया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसकी हंसी में मैं
हँस देता था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मुझे
हँसते-हँसते रुलाया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसको लेकर मैंने
अपना कल बनाया था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मेरे
आज को मिटाया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसकी हर
मर्ज का मैं दवा था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मेरे
हर ज़ख्म को जगाया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसके लिए
मैं सब कुछ बन गया था ,
हाँ वो तू ही तो है
बाद जिसके मैं
किसी का हो न पाया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसपे मैं शुरू
और ख़तम हुआ करता था ,
पर इस बार
"मैं और सिर्फ मैं था "
जिसने सब
ख़तम कर दिया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसके किस्से मैं
सुन-सुन के
थक चुका था ,
हाँ वो तू ही तो है
जो मेरे दिल से
निकल दिमाग में
बस चुका था |
पर इस बार
"मैं और सिर्फ मैं था "
जो खुद के
कल के सोच में
डूबा था ,
पर इस बार
"मैं और सिर्फ मैं था "
जिसने सब
ख़तम कर दिया था |
हाँ वो तू ही तो है
जो जुदा होकर
भी खुश था ,
पर इस बार
"मैं और सिर्फ मैं था "
जिसके "दिल-ओ-दिमाग"
से तू जा चुका था |
पर इस बार
"मैं और सिर्फ मैं था "
जिसको अब नए
रिश्ते बनाना थे |
पर इस बार
"मैं और सिर्फ मैं था "
जिसको अपना
अकेलापन छुपाना था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसके बिना मैं
जीना सीख चुका था |
पर इस बार
"मैं और सिर्फ मैं था "
जो खुश था |
:- #MJ_की_कीपैड_से
जिसको मैंने ख्वाबों
में देखा था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसको मैंने ख्यालों
में सोचा था |
हाँ वो तू ही तो है
जो मेर हर सफ़र
में मेरे साथ था ,
जिसको मुझ पे
खुद से ज्यादा विश्वास था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसके संग मैंने
देखे कुछ ख्वाब थे ,
हाँ वो तू ही तो है
जिनके साथ इनके
पूरे होने के एहसास थे |
हाँ वो तू ही तो है
जो धूप में
मुझे अपनी पलकों
की छावों में छिपाती थी ,
हाँ वो तू ही तो है
जो बारिश में मुझसे
लिपट जाती थी |
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मुझे ज़माने
से डरना सिखाया ,
फिर चुपके से हाथों में हाथ
डाल चलना सिखाया |
हाँ वो तू ही तो है
जिसके साथ वक़्त का
पता नहीं चलता था ,
सुबह तुम्ही से होती ,
दिन तुम्हीं में ढलता था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मुझे
बचपना सिखाया था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मुझे रूठ के
मनाना सिखाया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसकी एक हंसी
मुझसे सबसे प्यारी थी ,
जिसके लिए दुनिया
कुर्बान सारी थी |
हाँ वो तू ही तो है
जिसके करीब आकर
मैंने खुद के साँसों
को महसूस किया था ,
दुनिया की नज़रों
से बचा के तुझे,
खुद को ,
महफूज़ किया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसको मैंने पल-पल
हंसाया था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मुझे हर
वक़्त रुलाया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसको मैंने अपना
हर अतीत बताया था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मुझसे
सब कुछ छुपाया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसकी हंसी में मैं
हँस देता था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मुझे
हँसते-हँसते रुलाया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसको लेकर मैंने
अपना कल बनाया था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मेरे
आज को मिटाया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसकी हर
मर्ज का मैं दवा था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसने मेरे
हर ज़ख्म को जगाया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसके लिए
मैं सब कुछ बन गया था ,
हाँ वो तू ही तो है
बाद जिसके मैं
किसी का हो न पाया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसपे मैं शुरू
और ख़तम हुआ करता था ,
पर इस बार
"मैं और सिर्फ मैं था "
जिसने सब
ख़तम कर दिया था |
हाँ वो तू ही तो है
जिसके किस्से मैं
सुन-सुन के
थक चुका था ,
हाँ वो तू ही तो है
जो मेरे दिल से
निकल दिमाग में
बस चुका था |
पर इस बार
"मैं और सिर्फ मैं था "
जो खुद के
कल के सोच में
डूबा था ,
पर इस बार
"मैं और सिर्फ मैं था "
जिसने सब
ख़तम कर दिया था |
हाँ वो तू ही तो है
जो जुदा होकर
भी खुश था ,
पर इस बार
"मैं और सिर्फ मैं था "
जिसके "दिल-ओ-दिमाग"
से तू जा चुका था |
पर इस बार
"मैं और सिर्फ मैं था "
जिसको अब नए
रिश्ते बनाना थे |
पर इस बार
"मैं और सिर्फ मैं था "
जिसको अपना
अकेलापन छुपाना था ,
हाँ वो तू ही तो है
जिसके बिना मैं
जीना सीख चुका था |
पर इस बार
"मैं और सिर्फ मैं था "
जो खुश था |
:- #MJ_की_कीपैड_से
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