हाँ, मेरी दुनिया. शब्द भले ही ब्लैक एंड वाइट में हो..
शायद अपना ये प्रभाव कुछ रंगीन छोड़ जाए..
इसमें एक "कुछ भी" का सेगमेंट है, जिसमें मैं अपनी लिखी हुई कुछ फनी सा पोस्ट करता हूँ.
"यूँ ही" में कुछ आपको सेंटी सी कवितायेँ या शायरी मिल जायेंगी.
और मेरा पसंदीदा "रिकी बॉस" मेरा एक करैक्टर है जिसके जरिये मैं अपनी बात रखने की कोशिश करता हूँ..
आशा है आपको पसंद आएगा.
रास्ता पता है मगर..मंजिल से अनजान हूँ
Saturday, 18 July 2015
यूँ ही- बचपन की मनमानी
वो शैतानी बचपन की वो नादानी बचपन कि वो जिद चाँद को पाने की वो मनमानी बचपन की| #बचपना #यूँ_ही
No comments:
Post a Comment