रास्ता पता है मगर..मंजिल से अनजान हूँ

रास्ता पता है मगर..मंजिल से अनजान हूँ

Saturday, 18 July 2015

कुछ भी- उलटे पाँव

जब पहली रात में उसने मुझे  बुलाया था ,
बड़ी मुश्किल से मैंने दिल को मैंने मनाया था ,
क्या खुबसूरत रात थी ,
जब वो साथ थी ,
उसके  ‪#‎होठ ,
उसकी  ‪#‎आँखें ,
उसके  ‪#‎बाल 
वास्तव में,

लग रहे थे कमाल,
दिल ने मेरे कहा,
वो सब तो ठीक है ..
लेकिन उसके  ‪#‎पाँव क्यूँ उलटे हैं बे.. ?
‪#‎कु‬छ_भी 


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